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हेरासिम स्तेपनोविच लेबिदोव
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[[ “…अंग्रेजों के शासनकाल में बहुत से विदेशियों ने श्रम एवं निष्ठापूर्वक हिन्दी सीखी तथा हिन्दी सीखकर हिन्दी की पाठ्य पुस्तकों, हिन्दी के व्याकरणों एवं कोशों का निर्माण किया। उनके अध्ययन आज के भाषा वैज्ञानिक विश्लेषण एवं पद्धति के अनुरूप भले ही न हों किन्तु हिन्दी भाषा के वाड्.मीमांसापरक अध्ययन की दृष्टि से उनका ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक है।…” प्रोफेसर महावीर सरन जैन ]]
हेरासिम स्तेपनोविच लेबिदोव
हेरासिम स्तेपनोविच लेबिदोव (1749-1820)
 
जैसा कि इनके नाम से स्पष्ट है कि ये रूसी भाषी थे। आप सन् 1785 से सन् 1800 ई0 की अवधि में भारत में रहे। भारत में रहकर इन्होंने हिन्दी सीखी तथा हिन्दी का व्याकरण तैयार किया। इनका व्याकरण अपेक्षाकृत अधिक प्रमाणिक है। सन् 1801 ई0 में इन्होंने यह व्याकरण अपने व्यय से लन्दन में प्रकाशित कराया। व्याकरण ग्रन्थ का नाम है - ‘ग्रामर ऑफ द प्योर एण्ड मिक्स्ड ईस्ट इंडियन डाइलेक्ट्स'।
[[श्रेणी: हिन्दी के विदेशी विद्वान]]
 
[[श्रेणी:हिन्दी व्याकरण]]
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विशेष अध्ययन के लिए देखें:
 
विदेशी विद्वानों द्वारा हिन्दी वाड्.मीमांसापरक अध्ययन (फिलॉलाजिकल स्टडीज) (सन् 1940 ई0 तक) - प्रोफेसर महावीर सरन जैन
 
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