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१५ वीं सदी मे मुद्रण कला के व्यापक प्रसार के साथ ही सुसज्जित पांडुलिपियों के प्रचलन मे काफ़ी कमी आ गई. <ref>{{cite book|editor-last=लांब|editor-first=C.M.|origyear=१९५६|title=कैलीग्राफर'स हैंडबुक|publisher=पेंतालिक|year=१९७६}}</ref> फिर भी मुद्रण कला के विस्तार का अर्थ कैलीग्राफी का ख़त्म होना नही था।
१९वीं सदी के अंत मे विलियम मॉरिस और द आर्ट्स आंड क्रॅफ्ट्स मूवमेंट के दर्शन और एस्थेटिक्स संबंधी प्रभाव के कारण आधुनिक कैलीग्राफी के पुनरुत्थान का आरंभ हुआ। एड्वर्ड जॉनस्टन को आधुनिक कैलीग्राफी का जनक भी कहा जाता है। वास्तुविद् विलियम हॅरिसन कोवलीशव की प्रकाशित पुस्तक के [[पांडुलिपि]] के अध्ययन के बाद उनकी मुलाकात १८९८ मे द सेंट्रल स्कूल ऑफ आर्ट्स आंड क्रॅफ्ट्स के प्रिन्सिपल विलियम लेताबी से हुई जिन्होने उन्हे ब्रिटिश म्यूज़ीयम मे रखी पांडुलिपियों का भी अध्ययन करने को कहा. <ref>{{cite web|title=फॉण्ट डिज़ाइनर — एडवर्ड जोहनस्टोन|publisher=लिओटीपी GmbH|url=http://www.linotype.com/733/edwardjohnston.html|accessdate=५ नवम्बर २००७|archive-url=https://web.archive.org/web/20150915160641/http://www.linotype.com/733/edwardjohnston.html|archive-date=15 सितंबर 2015|url-status=livedead}}</ref>
 
इस सब के कारण जॉनस्टन के मन मे चौड़े कोने वाले पेन से की जाने वाली के प्रति कैलीग्राफी रूचि उत्पन्न हुई. उन्होने सितंबर १८९९ से सेंट्रल स्कूल इन साउथँप्टन रो, लंडन मे पढ़ाने का काम शुरू किया और वहीं एरिक गिल भी उनके प्रभाव मे आ गये. उसी साल फ्रँक पिक ने उन्हे लंडन अंडरग्राउंड के लिए एक नये प्रकार का टाइपफेस डिज़ाइन करने के लिए अनुबंधित किया जो आज भी थोड़े बहुत सुधार के साथ प्रयोग की जाती है. <ref>सच अस डी रामसे पसलटेर, BL, हार्ले MS २९०४</ref>