"मन्त्र": अवतरणों में अंतर
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सत्संग लिए [[सत्संग]] देखें । गुप्तमन्त्र लिए [[तंत्र]] देखें
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कैसे खोले ताला? क्योंकि
!!ॐ नमःशिवाय!! भी कीलित है-
हिन्दू#'''वेद-पुराणों का हर शब्द अमॄतम'''#
आपको हैरानी होगी यह जानकर कि–
'''!!ॐ नमःशिवाय!! मन्त्र कीलित है।'''
'''जब तक इसका उत्कीलन नहीं होगा'''
'''यानि ताला नहीं खुलेगा, तब तक'''
'''यह मन्त्र अपना शुभ प्रभाव या'''
'''लाभ नहीं दिखा सकता।'''
दूसरी बात इस ब्लॉग के जरिये जाने
कि- कब, कैसे कितनी माला जपने
से यह किस तरह, क्या कार्य सिद्ध
करता है और क्या लाभ होंगे।
'''समझने के लिए पूरा ब्लॉग पढ़े.…'''
मन्त्र का मतलब एवं मन का क्या रिश्ता है।
मंत्र से मन की उत्पत्ति हुई।
मन्त्र-मन को त्रिदोष से मुक्त कर
प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बनाता
देता है।
'''आयुर्वेद ग्रन्थ''' चरक '''और''' योगरत्नाकर'''वेद-पुराणों का हर शब्द अमॄतम'''
के हिसाब से मन में अमन '''हो, तो'''
इम्युनिटी पॉवर कमजोर नहीं होता।
पाचनतंत्र खराब नहीं होता।
मन्त्र जाप से संक्रमण/वायरस ,
असाध्य व्याधियों से शरीर की सभी
प्रकार से सुरक्षा होती रहती है।
शिवपुराण में लिखा है-
मन्त्र शब्द मन +त्र के संयोग से बना है।
मन का अर्थ है सोच, विचार, मनन या
चिंतन करना और “त्र ” का अर्थ है…
दैहिक, दैविक और भौतिक तकलीफों
से रक्षा कर सब प्रकार के अनर्थ, भय से
बचाने वाला।
सार यही है कि-''मन्त्र जाप से तन-मन''
''एवं शरीर की कोशिकाओं और नाड़ियों''
''को शुद्ध पवित्र बनाकर ऊर्जा प्रदान''
''करता है। अवसादग्रस्त लोगों के लिए''
''मन्त्र जाप से बड़ी कोई ओषधि नहीं है।''
संदर्भ ग्रन्थ, पुस्तकों की सूची/नाम।
इन सबका निचोड़ इस लेख में है….
★ ब्रह्मवैवर्त पुराण
★ अग्नि पुराण
★ शिवपुराण
★ काली तन्त्र
★ रहस्योउपनिषद
★ ईश्वरोउपनिषद
★ काशी का इतिहास
★ प्रतीक शास्त्र
★ हिंदी-संस्कृत शब्दकोश
★ भविष्य पुराण
★ स्कन्ध पुराण
★ महामृत्युंजय रहस्य
★ व्रतराज सहिंता
★ मन्त्र महोदधि
★ तन्त्र चंद्रोदय
★ अंक प्रतीक कोष
★ अर्ध मार्तण्ड
★ श्रीमद्भागवत महापुराण
★ मनीषी की लोकयात्रा
★ हिमालय के योगी
★ अघोरी-अवधूतों के रहस्य आदि!
'''!!ॐ नमःशिवाय!!''' यह मन्त्र
अनेक ऋषियों द्वारा कीलित (Lock)
है। आप जानकर हैरान हो जाएंगे…
'''!!ॐ नमःशिवाय!!''' मन्त्र का ताला कैसे खोले, जाने इस लेख में'''–'''
इस समय देश के लगभग सभी लोग
कोरोना वायरस की वजह से फुर्सत में
हैं, इसलिए '''अमॄतम पत्रिका'''
द्वारा भोलेनाथ के बारे में एक दुर्लभ रहस्यमयी बात पुराण, उपनिषद के
मुताबिक बतायी जा रही है। इस
प्रक्रिया का पालन, उत्कीलन जरूरी है।
तभी '''!ॐ नमःशिवाय!''' का जाप करने
से जीवन में परिवर्तन 100 फीसदी
निश्चित होगा।
'''लोगों की शंकाओं का समाधान.'''..
'''√''' वर्तमान समय में मंत्रो का शुभप्रभाव
किसी को क्यों नहीं दिखता?
'''√''' मन्त्र माला जाप करते समय '''उच्चाटन'''
क्यों हो जाता है?
'''√''' मन्त्र जाप से किसी भी कार्य में जल्दी सिद्धि नहीं क्यों नहीं मिलती?
'''√''' कोई भी '''मनोकामना'''
पूरी नहीं हो पाने के कारण क्या है?
'''सनातन धर्म के अधिकांश साधक,'''
'''लोग ये सब जानने के लिए आतुर हैं।'''
हरेक कीलित मन्त्र की उत्कीलन
विधि होती है।
'''उत्कीलन का अर्थ है-'''
उन मंत्रो का कीलन (ताला) विधिवत खोलना। इस ताले की चाबी मिलने
का स्थान, '''ताला खोलने की विधि''',
प्रत्येक मंत्र के '''ऋषि,''' '''देवता''' तथा
शक्तिबीज सब अलग अलग होते हैं।
'''मंत्रों को कीलित क्यों किया गया?'''
'''करने की क्या वजह थी?'''
उपरोक्त प्राचीन गर्न्थो के मुताबिक
भोलेनाथ ही तन्त्र-मन्त्र-यन्त्र, सर्व
सिद्धियों के प्रथम अविष्कारक हैं।
इन सब विधियों में '''मंत्र''' महत्वपूर्ण हैं।
मंत्रों की निर्माण प्रक्रिया में उनके
चमत्कारी प्रभाव एवं फायदे का
दुरुपयोग न हो, इसलिए बहुत से
मंत्रों जैसे-'''गायत्री मन्त्र, पंचाक्षर'''
'''मन्त्र, महामृत्युंजय मन्त्र और दुर्गा सप्तशती के अनेक स्तोत्रों को'''
'''कीलित कर दिया था।'''
कुछ मंत्रों को ऋषियों द्वारा शापित भी
कर दिया गया, ताकि इन ऊर्जावान
ब्रह्म शब्दों का कोई स्वार्थी पुरुष इसको
धन्धा न बना सके। भगवान शिव की
ये सब खोजे सृष्टि के कल्याण हेतु थी।
'''कीलित या कीलन का अर्थ है ….'''
ताला लगा देना।
एक प्रकार से महादेव और उनके
अनुयायी महर्षियों ने इन मंत्रो को
ताला लगा दिया, जिससे कोई भी
अपात्र या लोभी मनुष्य इन शक्तिशाली
मंत्रों का दुरूपयोग न कर सके।
'''ॐ नमःशिवाय''' मन्त्र भी कीलित है।
जब तक इसका उत्कीलन या शापोद्धार
कर ताला नहीं खोला जाता, तब तक ये अपना सही असर नहीं दिखा पाते हैं।
कीलित मन्त्र का उत्कीलन होने के
बाद ही जपने का मन होता है अन्यथा
उच्चाटन होकर मन नहीं लगता।
'''ॐ नमःशिवाय''' की रहस्यमयी महिमा'''..'''
यह पंचाक्षर मन्त्र अल्पाक्षर एवं
अति सूक्ष्म संक्षिप्त दिखता जरूर है,
किन्तु इसमें अनेक अर्थ भरे हैं।
5 अक्षरों वाला यह मन्त्र '''पंचतत्व'''
अग्नि, वायु, आकाश, पृथ्वी और जल
तथा हमारी '''पांच कर्मेन्द्रियों''' एवं
'''5-ज्ञानेंद्रियों''' को जागृत
कर क्रियाशील बनाये रखता है।
इस लेख में '''न'''/'''मः/शि/वा'''/'''य''' के
एक-एक अक्षर का अर्थ जानेंगे…..
'''शिवपुराण''', '''शिव रहस्योउपनिषद'''
एवं '''शिव काली तन्त्र''' में महादेव
का वचन है-
'''''जिसकी जैसी समझ हो, सोच हो,'''''
'''''जिसे जितना समय मिल सके,'''''
'''''चलते-फिरते, उठते-जागते, रोते-गाते, गुनगुनाते….जिसकी जैसी इच्छा, बुद्धि, शक्ति, सम्पत्ति, उत्साह, योग्यता'''''
'''''और प्रेम हो, उसके अनुसार वह जब'''''
'''''कभी, जहाँ कहीं भी इस चमत्कारी'''''
'''''पंचाक्षर मन्त्र को जप सकता है।'''''
बिना किसी पूजा सामग्री
अथवा किसी भी साधन
द्वारा केवल शिंवलिंग पर जलधारा
अर्पित कर पूजा की जा सकती है।
'''अग्नि पुराण''' में आया है कि-
'''मानव मस्तिष्क और शिंवलिंग'''
दोनो एक समान हैं। जैसे स्नान के
समय सिर पर पानी डालने से तन-मन
हल्का और स्फूर्तिवान हो जाता है,
ठीक वैसे ही शिंवलिंग पर पानी चढ़ाने
से बुद्धि के विकार बाहर
निकलकर, मन शान्त हो जाता है।
'''पापी की प्रार्थना सुनता है-महादेव'''
यदि पतित-पापी, निर्दयी, कुटिल,
पातकी मनुष्य भी शिव या शेषनाग
में मन या ध्यान लगा कर पंचाक्षर
मन्त्र का जप करेंगे, तो वह उनको
संसार-भय से तारने वाला होगा।
ॐ नमःशिवाय की अदृश्य शक्ति क्या है'''–'''
जैसे सभी देवताओं में त्रिपुरारि भगवान
शंकर देवाधिदेव हैं, ठीक उसी प्रकार
सब मन्त्रों में भगवान शिव का पंचाक्षर
मन्त्र !!ॐ नम: शिवाय!! श्रेष्ठ है।
लगभग सभी पुराण, उपनिषद आदि सहिंताओं में ऊपर वाले का उल्लेख है। '''शिवपुराण''' में '''महाशक्ति''' को '''महादेव'''
समझा रहे हैं कि-प्रणव (ॐ) सहित पांच अक्षरों से युक्त मेरा हृदय है।
यही शिवज्ञान है,
यही परमपद है और
ये ही ब्रह्मविद्या है।
'''!!ॐ नमःशिवाय!!''' पंचाक्षर मन्त्र…
पंचतत्व का प्रतीक है। इस मन्त्र का
उत्कीलन कर जपने से सभी काम
स्वतः ही बनने लगते हैं।
'''चमत्कारी मन्त्र की विशेषताएं..'''…
【1】इस मायावी संसार बन्धन में
बँधे हुए मनुष्यों की मनोकामना पूर्ति
सदैव स्वस्थ्य-प्रसन्न रखने के लिए
स्वयं '''महाकाल''' ने !!ॐ नम: शिवाय!!
इस उत्साह दायक सर्व शक्तिमान
मन्त्र का प्रतिपादन किया।
【2】अघोरी-अवधूत, औघड़दानी
सन्त इसे '''पंचाक्षरी विद्या''' भी कहते हैं।
【3】वेदों का विश्वास, पृथ्वी की
शक्ति और यह मंत्रों का राजा है।
【4】समस्त श्रुतियों-शास्त्रों का
सिरमौर तथा श्रेष्ठ है।
【5】ॐ नमःशिवाय मन्त्र सम्पूर्ण
उपनिषदों की आत्मा है।
【6】हरेक अक्षर शब्द समुदाय का बीजरूप है।
【7】!!ॐ नम: शिवाय!! मन्त्र के
अजपा जाप से साधारण साधक
'''शव''' से शिवस्वरूप हो जाता है।
【8】यह पंचाक्षर मन्त्र मोह-माया
के अंधकार में प्रकाशित करने वाला
दीपक है।
【9】अविद्या के समुद्र को सोखने
वाला वडवानल यानि अग्नियुक्त वायु है।
【10】पापों के जंगल को जला डालने वाला दावानल यानि फैलने वाली अग्नि है।
【11】'''स्कन्दपुराण''' के अनुसार-
यह पंचाक्षर मन्त्र वटवृक्ष के बीज की
भाँति हैं, जो सब कुछ देने वाला तथा सर्वसमर्थ माना गया है।
【12】इस मन्त्र को जपने के लिए
कोई महूर्त, दिन-वार लग्न, तिथि, नक्षत्र
और योग का विचार नहीं किया जाता।
【13】पंचाक्षर मन्त्र कभी सुप्त, लुप्त
या विमुक्त नहीं होता।
【14】यह मन्त्र सदा जाग्रत ही रहता है।
【15】अत: पंचाक्षर मन्त्र ऐसा है,
जिसका जाप, अनुष्ठान सब लोग
किसी भी अवस्थाओं में कर सकते हैं।
【16】पंचाक्षर मन्त्र के जाप से अनेक जन्मों के पाप क्षय होकर 8 तरह के अष्टदरिद्र दूर हो जाते हैं।
शिवावतार जगतगुरु अदिशंकराचार्य
ने लिंगाष्टकम स्तोत्र में लिखा भी है-
!!'''अष्टदरिद्र विनाशन लिंगम'''!!
【17】यह मन्त्र भगवान शिव का
हृदय–शिवस्वरूप, गूढ़ से भी गूढ़
विद्या, अथाह सुख-सम्पदा, ऐश्वर्य,
प्रसिद्धि और मोक्ष ज्ञान देने वाला है।
【18】यह मन्त्र समस्त वेदों का
सार है। परमात्मा का वास है इसमें।
【19】यह अलौकिक मन्त्र मनुष्यों
के मन में चैन-अमन देकर तन को
तन्दरुस्त बनाने वाला है।
【20】यह शिव की आज्ञा से सिद्ध है।
【21】पंचाक्षर मन्त्र का निरन्तर जाप तन्त्र-मन्त्र-यन्त्र तथा नाना प्रकार की
सिद्धियों को देने वाला है।
【22】इस मन्त्र के जाप से साधक
को लौकिक, पारलौकिक सुख,
त्रिकाल दृष्टि, इच्छित फल एवं
पुरुषार्थ की प्राप्ति हो जाती है।
【23】यह मन्त्र मुख से उच्चारण
करने योग्य, सम्पूर्ण प्रयोजनों को
सिद्ध करने वाला व सभी विद्याओं
का बीजस्वरूप है।
【24】यह मन्त्र सम्पूर्ण वेद, उपनिषद्,
पुराण और शास्त्रों का आभूषण व सब
पापों का नाश करने वाला है।
【25】ॐ नमःशिवाय-यह सृष्टि
निर्माण के वक्त स्वतः ही उत्पन्न
हुआ सबसे पहला मन्त्र है।
【26】प्रलयकारी परिस्थितियों में
संहार के समय सृष्टि का हर कण इसमें समाहित रहकर सुरक्षित हो जाता है।
'''पूरा शिव पंचाक्षर स्तोत्र क्या है…'''
इसके पाँचों श्लोकों में क्रमशः
'''न-म:-शि-वा-य है।''' अत: यह स्तोत्र
पंचतत्व परिपूर्ण शिव का ही स्वरूप है…
'''नमःशिवाय का श्लोक विस्तार से जाने..'''
{1} पहले '''“न”- अक्षर से•••'''•
'''नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय'''
'''भस्मांगरागाय महेश्वराय। नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय'''
तस्मै ‘न’ काराय नम: शिवाय !!1!!
अर्थ:-
पूरा पढ़ने के लिए सर्च करें
www.amrutampatrika.com [[श्रुति]] ग्रंथों की पारंपरिक रूप मंत्र कहा जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ ''विचार'' या ''चिन्तन'' होता है <ref>संस्कृत में '''मननेन त्रायते इति मन्त्रः''' - जो मनन करने पर त्राण दे वह '''मन्त्र''' है</ref>। ''मंत्रणा'', और ''मंत्री'' इसी मूल से बने शब्द हैं। मन्त्र भी एक प्रकार की वाणी है, परन्तु साधारण वाक्यों के समान वे हमको बन्धन में नहीं डालते, बल्कि बन्धन से मुक्त करते हैं।<ref>श्रीमद्भगवदगीता - टीका श्री भूपेन्द्रनाथ सान्याल, प्रथम खण्ड, अध्याय 1, श्लोक 1</ref>
काफी '"चिन्तन-मनन'" के बाद किसी समस्या के समाधान के लिये जो उपाय/विधि/युक्ति निकलती है उसे भी सामान्य तौर पर '''मंत्र'''<ref>{{Cite web|url=https://jaibhole.co.in/articles/Beej-Mantras-Of-All-Planets|title=सभी ग्रहो के बीज़ मंत्र जो बदल सकते हैं आपका जीवन|website=Jai Bhole}}</ref> कह देते हैं। "षड कर्णो भिद्यते मंत्र" (छ: कानों में जाने से मंत्र नाकाम हो जाता है) - इसमें भी मंत्र का यही अर्थ है।
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