"सिंधु घाटी सभ्यता": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Indus Valley Civilization, Early Phase (3300-2600 BCE).png|300x350px|thumbnail|सिंधु घाटी सभ्यता अपने शुरुआती काल में, 3250-2750 ई॰पू॰]]
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इसका विकास [[सिंधु नदी|सिंधु]] और घघ्घर/हकड़ा (प्राचीन सरस्वती) के किनारे हुआ। [[हड़प्पा]], [[मोहनजोदड़ो]], [[कालीबंगा]], [[लोथल]], [[धोलावीरा]] और [[राखीगढ़ी]] इसके प्रमुख केन्द्र थे। दिसम्बर 2014 में [[भिरड़ाणा]] को सिंधु घाटी सभ्यता का अब तक का खोजा गया सबसे प्राचीन नगर माना गया है। ब्रिटिश काल में हुई खुदाइयों के आधार पर पुरातत्ववेत्ता और इतिहासकारों का अनुमान है कि यह अत्यंत विकसित सभ्यता थी और ये शहर अनेक बार बसे और उजड़े हैं।
यह सभ्यता [[सिन्धु नदी]] घाटी में फैली हुई थी इसलिए इसका नाम सिन्धु घाटी सभ्यता रखा गया। प्रथम बार नगरों के उदय के कारण इसे प्रथम नगरीकरण भी कहा जाता है। प्रथम बार [[कांस्य]] के प्रयोग के कारण इसे [[कांस्य युग|कांस्य सभ्यता]] भी कहा जाता है। सिन्धु घाटी सभ्यता के १४०० केन्द्रों को खोजा जा सका है जिसमें से ९२५ केन्द्र [[भारत]] में है। ८० प्रतिशत स्थल [[सरस्वती नदी]] और उसकी सहायक नदियों के आस-पास है। अभी तक कुल खोजों में से ३ प्रतिशत स्थलों का ही उत्खनन हो पाया है । नए शोध में सिंधु घाटी सभ्यता से भगवान शिव और नाग के प्रमाण मिले है उस आधार पर कहा गया है कि यह सभ्यता निषाद जाती भील से संबंधती रही होगी <ref>{{https://www.google.com/url?sa=t&source=web&rct=j&url=https://shodhganga.inflibnet.ac.in}}</ref>।
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