"सायण": अवतरणों में अंतर
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(1) '''सुभाषित सुधानिधि''' - नीति वाक्यों का सरस संकलन। कंपण भूपाल केसमय की रचना होने से यह उनका आद्य ग्रंथ प्रतीत होता है।
(2) '''प्रायश्चित्त सुधा
निधि''' - कर्मविपाक नाम से भी प्रख्यात यह ग्रंथ धर्म शास्त्र के प्रायश्चित विषय का विवरण प्रस्तुत करता है। (3) '''अलंकार सुधा निधि''' - अलंकार का प्रतिपादक यह ग्रंथ दस उन्मेषों में विभक्त था। इस ग्रंथ के प्राय: समग्र उदाहरण सायण के जीवनचरित् से संबंध रखते हैं। अभी तक केवल तीन उन्मेष प्राप्त हैं।
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