"पाकिस्तान आंदोलन": अवतरणों में अंतर

=परिणाम== परिणाम यह हुआ कि पाकिस्तान के केवल एक बेवकूफ मुहम्मदअली जिन्ना की वज़ह से पाकिस्तान और भारत के बीच विभाजन हो गया वरना पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमान भाई अभी भी A.P.J.अब्दुल कलाम की तरह आराम से भारत में रहते हैं।
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यह आन्दोलन [[भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन|भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन]] के समानांतर ही चला था। हालांकि, दोनो आंदोलनो का उद्देश्य एक ही था, परन्तु, पाकिस्तान आंदोलन का मुख्य उद्देश्य "'''भारतीय उपमहाद्वीप के मुसलमानों की धार्मिक पहचान और राजनीतिक हितों का संरक्षित व सुरक्षा था।'''" इस प्रसंग का पहला संगठित आंदोलन [[सैयद अहमद ख़ान|सैय्यद अहमद खान]] द्वारा [[अलीगढ़]] में हुआ था, जिसे [[अलीगढ़ आंदोलन]] के रूप में जाना जाने लगा था। यह आन्दोलन '''पाकिस्तान आंदोलन''' का आधार था। १९०६ में, एक शैक्षिक सम्मेलन आयोजित किया गया जो धीरे धीरे मुस्लिम सुधारकों के आंदोलन से राजनीतिक चरण में तब्दील हो गया। इस बीच में, [[अखिल भारतीय मुस्लिम लीग|ऑल इंडिया मुस्लिम लीग]] का गठन किया गया था। गुरुत्वपूर्ण मुसलिम नेताओं द्वारा इसके गठन के पीछे का मूल उद्देश्य [[ब्रिटिश भारत के प्रेसीडेंसी और प्रांत|ब्रिटिश भारत]] में [[मुसलमान|मुसलमानों]] के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना था। आंदोलन के प्रारंभिक दौर में मुस्लिम लीग के वार्षिक सत्रों ने [[मुहम्मद इक़बाल|अल्लामा इकबाल]] की दार्शनिक दृष्टिकोण व नेतृत्व में आंदोलन को आगे बढ़ाया। जिस्के पश्चात [[मोहम्मद अली जिन्नाह|मुहम्मद अली जिन्ना]] के संवैधानिक प्रयासों ने आंदोलन के लिए जनसमर्थन बनाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उर्दू शायर इकबाल और फैज के साहित्य, कविता एवं भाषणों ने भी राजनीतिक चेतना के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इनके अलावा [[बेगम राणा लियाकत अली खान]] और [[फ़ातिमा जिन्नाह|फातिमा जिन्नाह]] जैसी महिलाओं ने भी अपनी भूमिका निभाई थी।
नौकरीपेशे वाले लोगों ने भी पाकिस्तान आंदोलन में भाग लिया था। बाद में, [[भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम १९४७|भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, १९४७]] पारित किया गया, जिसके अंतर्गत [[भारतीय अधिराज्य|भारत अधिराज्य]] और [[पाकिस्तान अधिराज्य]] नामक दो स्वतंत्र स्वायत्य-उपनिवेश(डोमीनियन) की स्थापना की गई। पाकिस्तान आंदोलन कई माएनों में, सामाजिक, राजनैतिक एवं बौद्धिक प्रक्रिया का परिणाम था। इसके बाद [[पाकिस्तान]] के संस्थापकों ने एक मजबूत सरकार बनाने की प्रयास की जो की नवस्थापित देश के दोनों खंडों पर सफल नियंत्रण बनाए रख सके। १९५८ में बाद में, पाकिस्तान में सैन्य तख्तापलट हुआ और राजनीतिक एवं आर्थिक भेदभाव, एवं अन्य कई मसलों के परिणामस्वरूप बांग्लादेश १९७१ में एक स्वतंत्र [[सम्प्रभु राज्य|राष्ट्र]] के रूप में उभरा जो की उस समय तक [[पूर्वी पाकिस्तान]] था।
{{पाकिस्तान}}
{{पाकिस्तान}}=परिणाम== परिणाम यह हुआ कि पाकिस्तान के केवल एक बेवकूफ मुहम्मदअली जिन्ना की वज़ह से पाकिस्तान और भारत के बीच विभाजन हो गया वरना पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमान भाई अभी भी A.P.J.अब्दुल कलाम की तरह आराम से भारत में रहते हैं।
 
==पृष्ठभूमि ==
 
==नेतृत्व==
 
==समय-रेखा==
==परिणाम==
==परिणाम== परिणाम यह हुआ कि पाकिस्तान के केवल एक बेवकूफ मुहम्मदअली जिन्ना की वज़ह से पाकिस्तान और भारत के बीच विभाजन हो गया वरना पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमान भाई अभी भी A.P.J.अब्दुल कलाम की तरह आराम से भारत में रहते हैं।
 
==विरासत==
==इन्हें भी देखें==
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[[श्रेणी:राजनीतिक आंदोलन]]
[[श्रेणी:२०वीं सदी के आंदोलन]]
 
=परिणाम== परिणाम यह हुआ कि पाकिस्तान के केवल एक बेवकूफ मुहम्मदअली जिन्ना की वज़ह से पाकिस्तान और भारत के बीच विभाजन हो गया वरना पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमान भाई अभी भी A.P.J.अब्दुल कलाम की तरह आराम से भारत में रहते हैं।
{{इति-आधार}}