"हिलियम": अवतरणों में अंतर

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हीलियम अक्रिय गैसों का एक प्रमुख सदस्य है। इसका संकेत '''He''', [[परमाणु भार|परमाणुभार]] ४, परमाणुसंख्या २, घनत्व ०.१७८५, [[क्रांतिक बिन्दु|क्रांतिक ताप]] -२६७.९०० और क्रांतिक दबाव २ २६ वायुमंडल, क्वथनांक -२६८.९० सें. और गलनांक -२७२ डिग्री से. है। इसके दो स्थायी [[समस्थानिक]] He3, परमाण्विक द्रव्यमान ३.०१७० और He4, परमाण्विक द्रव्यमान ४.००३९ और दो अस्थायी समस्थानिक He5, परमाण्विक द्रव्यमान ५.०१३७ और रेडियोएक्टिव He6, परमाण्विक द्रव्यमान ६.०२८ पाए गए हैं।
 
== खोज एवं प्राप्ति ==
1868१८६८ ई. में सूर्य के [[सूर्य ग्रहण|सर्वग्रास ग्रहण]] के अवसर पर सूर्य के वर्णमंडल के स्पेक्ट्रम में एक पीली रेखा देखी थी जो [[सोडियम]] की पीली रेखा से भिन्न थी। जानसेन ने इस रेखा का नाम डी3 रखा और सर जे. नार्मन लॉकयर इस परिणाम पर पहुँचे कि यह रेखा किसी ऐसे तत्व की है जो पृथ्वी पर नहीं पाया जाता। उन्होंने ही '''हीलियम''' ([[यूनान|ग्रीक]] शब्द, शब्दार्थ सूर्य) के नाम पर इसका नाम हीलियम रखा। 1894१८९४ ई. में सर विलियम रामजेम ने '''क्लीवाइट''' नामक खनिज से निकली गैस की परीक्षा से सिद्ध किया कि यह गैस पृथ्वी पर भी पाई जाती है। क्लीवाइट को तनु [[गन्धकाम्ल|सल्फ्यूरिक अम्ल]] के साथ गरम करने और पीछे क्वीवाइट को निर्वात में गरम करने से इस गैस को प्राप्त किया था। ऐसी गैस में 20२० प्रतिशत [[नाइट्रोजन]] था। नाइट्रोजन के निकाल लेने पर गैस के स्पेक्ट्रम परीक्षण से स्पेक्ट्रम में डी3 रेखा मिली। पीछे पता लगा कि कुछ उल्कालोह में भी यह गैस विद्यमान थी। रामजे और टैवर्स ने इस गैस को बड़े परिश्रम और बड़ी सूक्ष्मता से परीक्षा कर देखा कि यह गैस वायुमंडल में भी रहता है। रामजे और फ्रेडेरिक सॉडी ने रेडियोऐक्टिव पदार्थों के स्वत:विघटन से प्राप्त उत्पाद में भी इस गैस को पाया। [[पृथ्वी का वायुमण्डल|वायुमंडल]] में बड़ी अल्प मत्रा (18१८,600६०० में एक भाग), कुछ अन्य [[खनिज|खनिजों]], जैसे बोगेराइट और मोनेजाइट से निकली गैसों में यह पाया गया। मोनोज़ाइट के प्रति एक ग्राम में 1 घन सेमी गैस पाई जाती है। [[शिलारस|पेट्रोलियम]] कूपों से निकली [[प्राकृतिक गैस]] में इसकी मात्रा 1 प्रतिशत से लेकर 8 प्रतिशत तक पाई गई है।
 
== उत्पादन ==