"भारत-चीन युद्ध": अवतरणों में अंतर
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'''भारत-चीन युद्ध''' जो भारत चीन सीमा विवाद के रूप में भी जाना जाता है, [[चीन]] और [[भारत]] के बीच 1962 में हुआ एक युद्ध था।<ref>{{cite web|url=http://www.bbc.com/hindi/india/2012/10/121018_inder_indochina_spl_pp|title=1962 का युद्ध: विश्वासघात या कायरता|access-date=19 नवंबर 2017|archive-url=https://web.archive.org/web/20171216054540/http://www.bbc.com/hindi/india/2012/10/121018_inder_indochina_spl_pp|archive-date=16 दिसंबर 2017|url-status=live}}</ref> विवादित हिमालय सीमा युद्ध के लिए एक मुख्य बहाना था, लेकिन अन्य मुद्दों ने भी भूमिका निभाई।<ref>{{cite web|url=http://www.mapsofindia.com/my-india/politics/why-the-india-china-war-happened|title=Why India – China War Happened ?|date=2014|access-date=7 जुलाई 2017|archive-url=https://web.archive.org/web/20170628181659/http://www.mapsofindia.com/my-india/politics/why-the-india-china-war-happened|archive-date=28 जून 2017|url-status=live}}</ref> चीन में 1959 के तिब्बती विद्रोह के बाद जब भारत ने [[तेनजिन ग्यात्सो|दलाई लामा]] को शरण दी तो भारत चीन सीमा पर हिंसक घटनाओं की एक श्रृंखला शुरू हो गयी। भारत ने फॉरवर्ड नीति के तहत [[मैकमहोन रेखा|मैकमोहन रेखा]] से लगी सीमा पर अपनी सैनिक चौकियाँ रखी जो 1959 में चीनी प्रीमियर [[झोउ एनलाई]] के द्वारा घोषित [[वास्तविक नियंत्रण]] रेखा के पूर्वी भाग के उत्तर में थी।
चीनी सेना ने 20 अक्टूबर 1962 को [[लद्दाख़|लद्दाख]] में और मैकमोहन रेखा के पार एक साथ हमले शुरू किये। चीनी सेना दोनों मोर्चे में भारतीय बलों पर उन्नत साबित हुई और पश्चिमी क्षेत्र में [[चुशूल]] में [[रेज़ांग ला|रेजांग-ला]] एवं पूर्व में [[तवांग]] पर अवैध कब्ज़ा कर लिया। चीन ने 20 नवम्बर 1962 को युद्ध विराम की घोषणा कर दी और साथ ही विवादित दो क्षेत्रों में से एक से अपनी वापसी की घोषणा भी की, हलाकिं [[अक्साई चिन]] से भारतीय पोस्ट और गश्ती दल हटा दिए गए थे, जो संघर्ष के अंत के बाद प्रत्यक्ष रूप से चीनी नियंत्रण में चला गया। 1962 के
भारत-चीन युद्ध कठोर परिस्थितियों में हुई लड़ाई के लिए उल्लेखनीय है। इस युद्ध में ज्यादातर लड़ाई 4250 मीटर (14,000 फीट) से अधिक ऊंचाई पर लड़ी गयी। इस प्रकार की परिस्थिति ने दोनों पक्षों के लिए रसद और अन्य लोजिस्टिक समस्याएँ प्रस्तुत की। इस युद्ध में चीनी और भारतीय दोनों पक्ष द्वारा नौसेना या वायु सेना का उपयोग नहीं किया गया था।
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