"हेरासिम स्तेपनोविच लेबिदोव": अवतरणों में अंतर

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जैसा कि इनके नाम से स्पष्ट है कि ये रूसी भाषी थे। आप सन् 1785 से सन् 1800 ई0 की अवधि में भारत में रहे। भारत में रहकर इन्होंने हिन्दी सीखी तथा हिन्दी का व्याकरण तैयार किया। इनका व्याकरण अपेक्षाकृत अधिक प्रमाणिक है। सन् 1801 ई0 में इन्होंने यह व्याकरण अपने व्यय से लन्दन में प्रकाशित कराया। व्याकरण ग्रन्थ का नाम है - ‘ग्रामर ऑफ द प्योर एण्ड मिक्स्ड ईस्ट इंडियन डाइलेक्ट्स'।
[[श्रेणी: हिन्दी के विदेशीरूसी विद्वान]]
[[श्रेणी:हिन्दी व्याकरण]]