"राम प्रसाद 'बिस्मिल'": अवतरणों में अंतर

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समाधि- बाबा राघवदास आश्रम, बरहज(देवरिया), उ0प्र0
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'''राम प्रसाद 'बिस्मिल'''' (११ जून १८९७-१९ दिसम्बर १९२७) [[भारतीय स्वतंत्रyadaतास्वतंत्रता आंदोलन]] की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख [[स्वतंत्रता सेनानी|सेनानी]] थे, जिन्हें ३० वर्ष की आयु में [[ब्रिटिश राज|ब्रिटिश सरकार]] ने [[फाँसी]] दे दी। वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे।
 
राम प्रसाद एक [[कवि]], [[शायर]], [[अनुवादक]], बहुभाषाभाषी, [[इतिहासकार]] व [[साहित्यकार]] भी थे। ''बिस्मिल'' उनका उर्दू तखल्लुस ([[उपनाम]]) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे ''राम'' और ''अज्ञात'' के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे।
 
ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी ([[निर्जला एकादशी]]) विक्रमी संवत् १९५४, शुक्रवार को [[उत्तर प्रदेश]] के [[शाहजहाँपुर]] में जन्मे राम प्रसाद ३० वर्ष की आयु में पौष कृष्ण एकादशी ([[सफला एकादशी]]), सोमवार, विक्रमी संवत् १९८४ को शहीद हुए। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रखा था। ११ वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और स्वयं ही उन्हें प्रकाशित किया। उन पुस्तकों को बेचकर जो पैसा मिला उससे उन्होंने हथियार खरीदे और उन हथियारों का उपयोग [[ब्रिटिश राज]] का विरोध करने के लिये किया। ११ पुस्तकें उनके जीवन काल में प्रकाशित हुईं, जिनमें से अधिकतर सरकार द्वारा ज़ब्त कर ली गयीं।
<!-- <ref name="क्रान्त">{{cite book |last1=Verma |first1='Krant' Madan Lal |authorlink1= |last2= |first2= |editor1-first= |editor1-last= |editor1-link= |others= |title=क्रांतिकारी बिस्मिल और उनकी शायरी|url=http://www.worldcat.org/title/krantikari-bismila-aura-unaki-sayari/oclc/466558602 |format= |accessdate=४ मार्च २०१४ |edition=1 |series= |volume= |date= |year=1998 |month= |origyear= |publisher=प्रखर प्रकाषन|location=[[दिल्ली]] |isbn= |oclc= 466558602|doi= |id= |page=18 |pages= |chapter= |chapterurl= |quote=स्वयं किताबें लिखीं, छ्पायीं, बेचीं, फिर जो धन आया, उससे शस्त्र खरीदे फिर बाग़ी मित्रों में बँटवाया। सैन्य-शस्त्र-संचालन का था बहुत बड़ा अनुभव पाया, इसीलिये बिस्मिल bbbbbhgsssxchhbbhकेके जिम्मे सेनापति का पद आया। फिर क्या था शुरुआत उन्होंने की सीधे संधान की! आओ तुमको कथा सुनाएँ बिस्मिल के बलिदान की!!|ref= |bibcode= |laysummary= |laydate= |separator= |postscript= |lastauthoramp=}}</ref> -->
 
बिस्मिल को तत्कालीन [[संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध]] की लखनऊ सेण्ट्रल जेल की ११ नम्बर बैरक<!-- <ref>{{cite news|url=http://www.indianexpress.com/news/history-in-a-barrack/488177/|trans_title=एक बैरक में इतिहास |title=History in a barrack|date=12 जुलाई 2009|publisher=[[द इंडियन एक्सप्रेस]]|accessdate= ४ मई २०१४}}</ref>--> में रखा गया था। इसी जेल में उनके दल के अन्य साथियोँ को एक साथ रखकर उन सभी पर ब्रिटिश राज के विरुद्ध साजिश रचने का ऐतिहासिक मुकदमा चलाया गया था।