"शचींद्रनाथ सान्याल": अवतरणों में अंतर

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'''शचींद्रनाथ सान्याल''' (जन्म 3 जूनअप्रैल 1893, [[वाराणसी]] में - मृत्यु 7 फरवरी 1942, [[गोरखपुर]] में) [[क्वींस कालेज]] ([[वाराणसी|बनारस]]) में अपने अध्ययनकाल में उन्होंने [[काशी]] के प्रथम क्रांतिकारी दल का गठन 1908 में किया। 1913 में फ्रेंच बस्ती [[चंदननगर]] में सुविख्यात क्रांतिकारी [[रासबिहारी बोस]] से उनकी मुलाकात हुई। कुछ ही दिनों में काशी केंद्र का चंदननगर दल में विलय हो गया ओर रासबिहारी काशी आकर रहने लगे।
 
क्रमशः काशी उत्तर भारत में क्रांति का केंद्र बन गई। 1914 में [[पहला विश्व युद्ध|प्रथम महायुद्ध]] छिड़ने पर सिक्खों के दल ब्रिटिश शासन समाप्त करने के लिए अमरीका और कनाडा से स्वदेश प्रत्यावर्तन करने लगे। रासबिहारी को वे [[पंजाब क्षेत्र|पंजाब]] ले जाना चाहते थे। उन्होंने शचींद्र को सिक्खों से संपर्क करने, स्थिति से परिचित होने और प्रारंभिक संगठन करने के लिए [[लुधियाना]] भेजा। कई बार [[लाहौर]], लुधियाना आदि होकर शचींद्र काशी लौटे और रासबिहारी लाहौर गए। लाहौर के सिक्ख रेजिमेंटों ने 21 फ़रवरी 1915 को विद्रोह शुरू करने का निश्चय कर लिया। काशी के एक सिक्ख रेजिमेंट ने भी विद्रोह शुरू होने पर साथ देने का वादा किया।