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'''डायरी लेखन''' व्यक्ति के द्वारा लिखा गया व्यक्तिगत अभुभवों, सोच और भावनाओं को लेखित रूप में अंकित करके बनाया गया एक संग्रह है। विश्व में हुए महान व्यक्ति डायरी लेखन करते थे और उनके अनुभवों से उनके निधन के बाद भी कई लोगों को प्रेरणा मिलती है। डायरी गध साहित्य की एक प्रमुख विधा है इसमें लेखक आत्म साक्षात्कार करता है। वह अपने आपसे सम्प्रेषण की स्थिति में होता है।
 
मानव के समस्त भावों मानसिक उद्वेगों,अनुभूति विचारों को अभिव्यक्त करने में साहित्य का सर्वोच्च स्थान है।समीक्षकों ने डायरी को साहित्य की कोटि में इसलिये रखा है क्योंकि वह किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति के व्यक्तित्व का उदघाटन करती है या मानव समाज के विभिन्न पक्षों का सूक्ष्म और जीवंत चित्र उपस्थित करती हैं।डायरी लेखक अपनी रूचि आवश्यकतानुसार
राजनीतिक,सामाजिक,सांस्कृतिक,धार्मिक साहित्यिक अधिक विभिन्न पक्षों के साथ निजी अनुभूतियों का चित्रण कर सकता है।
हिन्दी साहित्य में अनेक गद्य विधाओं का सूत्रपात आधुनिक युग में होगा इसमें निबन्ध, नाटक,उपन्यास,कहानी,एकांकी,आत्मकथा,जीवनी,यात्रा-साहित्य,रेखाचित्र,रिपोर्ताज पत्र- पत्रिकाओं के साथ डायरी लेखन आदि प्रमुख हैं।
किसी भी घटना के प्रति व्यक्ति का तात्कालिक उद्वेग या उसकी अभिव्यक्ति का माध्यम डायरी बनती है।वैसे तो डायरी एक निजी सम्पत्ति मानी जाती है जो किसी व्यक्ति की अपनी मानसिक सृष्टि और अंतःदर्शन है परन्तु व्यापक दृष्टि में डायरी भी प्रकाश में आकर साधारणीकृत हो जाने के कारण साहित्य जगत की संपत्ति बन जाती है।डायरी हिन्दी साहित्य में मुख्यतः छायावादोत्तर युग की आत्मपरक विद्या है।डायरी में लोग अपने कुछ या बहुत से अनुभवों का दैनिक विवरण लिखते हैं और यही डायरी जब किसी साहित्यकार की कलम से किंचित कलात्मक शैली में लिखी जाती है और प्रकाशित होकर पाठकों तक पहुंचती है तो वे साहित्य की प्रतिष्ठित विधा का हिस्सा बन जाती है।
डायरी निजी लेखन है,अतः इसमें लेखक के व्यक्तिगत जीवन को अभिव्यक्ति मिलती है। नितांत निजी क्षणों में कोई भी व्यक्ति जो सोचता- विचारता है उसे अपनी डायरी में लिखता है।किसी-किसी व्यक्ति को प्रतिदिन डायरी लिखने की आदत होती है,कुछ व्यक्ति एक-दो अथवा कुछ दिनों के अन्तराल के बाद डायरी लिखते हैं,परन्तु फिर भी यह जरुरी होता है कि डायरी में तिथि क्रम बना रहे।डायरी लेखक के व्यक्तिगत जीवन का सबसे प्रामाणिक दस्तावेज होती है।
वास्तव में डायरी लिखने की ऐसी विधा है जिसमें लेखक स्वयं की रोज़मर्रा ज़िंदगी और जीवन से जुड़े लोगों के प्रति अगाध प्रेम,द्वंद्व व संवेदन को हृदय में सहेजकर अपने शब्दों के माध्यम से डायरी में लिखता है।
डायरी का सत्य अपेक्षाकृत अधिक पूर्ण आंतरिक और आत्मीय होता है।डायरी में वर्णन न होकर मन की प्रतिक्रिया आत्मविश्लेषण एवं मनःस्थिति अंकित की जाती है।डायरी लेखक प्रायः कटु से कटु सत्य से भी दूर नहीं भागता। किसी भी अवांछित प्रसंग को ढकना डायरी- लेखक के लिए उचित नहीं।क्योंकि वह तो यह सोचकर लिखता है कि जो कुछ मैं लिख रहा हूं, वह मेरा निजी है,मेरा अपना है।क्योंकि डायरी को सभी के पढ़ने की वस्तु नहीं माना गया है। अतः डायरी को हम विभिन्न 'मूड्स' के स्नैप्स कह सकते हैं अर्थात हम उन्हें मन का चित्र भी कहा जा सकता है।
मनोज शर्मा
(शर्मा मनोज)
हिन्दी का कथेत्तर गद्य
 
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प्राचीन काल में राजा महाराजाओं के समय भी एक रोजनामचा तैयार किया जाता था जो रोजाना के कार्य और घटनाओं का विवरण देता था।