"पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Shamikhfaraz (वार्ता | योगदान) No edit summary |
Shamikhfaraz (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 4:
==प्रमुख कृतियाँ==
बाबू शयामसुंदर दास के निर्देशन में अग्रेजी में लिखे उनके शोध प्रबंध 'द निर्गुण स्कूल आफ हिंदी पोयट्री' पर काशी विशविद्यालय ने उन्हें डी॰लिट॰की उपाधि प्रदान की। हिंदी साहित्य जगत् में उस शोध प्रबंध का जोरदार स्वागत हुआ। उसे भूरि - भूरि प्रशंसा मिली। [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय|प्रयाग विश्वविद्यालय]] के दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर डा॰ रानाडे ने इसपर अपनी सम्मति व्यक्त करते हुए कहा कि 'यह केवल हिंदी साहित्य की विवेचना के लिये ही नहीं अपितु रहस्यवादकी दार्शनिक व्याख्या के लिये भी एक महत्त्वपूर्ण देन है। 'बाद में यह शोध प्रबंध 'हिन्दी में निर्गुण संप्रदाय' नाम से हिंदी में प्रकाशित हुआ। हिन्दी जगत में बड़थ्वालजी ने अपनी शोध प्रव्रति और समीक्षा दृष्टि के कारण ही पहचान बनाई, लेकिन उनके 'कणेरीपाव' 'गंगाबाई' 'हिंदी साहित्य में उपासना का स्वरूप', 'कवि केशवदास' जैसे विचारात्मक निबंधों में उनकी निबंध कला का उत्कर्ष देख उनके निबंधकाररुप को भी हिंदी संसार में भरपूर सरहाना मिली। उनकी प्रकाशित कृतियों में -'योग प्रवाह', (सं॰ डॉ. [[सम्पूर्णानंद]]) 'मकरंद' (सं॰डॉ॰भगीरथ मिश्र), डाँ॰ पितांबरदत्त बड़थ्वाल के श्रेष्ट निबंध' (सं॰ गोविंद चातक) आदि हैं। उन्होंने कवि गोरखनाथ की रचनाओं का संकलन और संपादन किया जो ‘गोरख बानी’ के नाम से प्रकाशित हुआ।<ref>{{cite web |url= http://pustak.org/bs/home.php?bookid=5476
|title=नाथ सिद्धों की रचनाएँ|accessmonthday=[[१३ सितंबर]]|accessyear=[[२००९]]|format=पीएचपी|publisher=भारतीय साहित्य संग्रह|language=}}</ref> हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी में भी उन्होंने कुछ श्रेष्ट साहित्यिक निबंद लिखे, जिनमें - मिस्टिसिज्म इन हिन्दी पोयट्री' और'मिस्टिसिज्म इन कबीर' विशेष उल्लेखनीय हैं। बड़थ्वालजी के निबंधों की विशिष्टता यह है कि निबंध का मूल भाव प्रारंभ में ही स्पष्ट हो जाता ==संदर्भ==
|