"काफ़ि़र": अवतरणों में अंतर

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काफिर कौन? (Who is a Kafir)
 
काफिर एक ऐसा शब्द है जिसके बारे में ना केवल ग़ैर मुस्लमान बल्कि मुसलमानों में भी ग़लतफ़हमी है। इस शब्द का सही अर्थ इसलिए भी जानना ज़रूरी है क्यूंकि हमारे समाज में काफिर शब्द की ग़लत परिभाषा समझने से लोग इस्लाम के बहुत सारे सिद्धांतों की ग़लत व्याख्या करते है । अब जब शब्द का अर्थ ही ग़लत समझा गया हो, तो वह शब्द जहाँ जहाँ प्रयोग होगा उससे उत्पन धारणा भी ग़लत होगी।
काफ़िर एक अरबी शब्द है जिसको लेके मुस्लिमो और गैर मुस्लिमो में प्राय: विवाद उत्पन्न होता रहता। इस्लाम जंहा काफ़िर शब्द का इस्तेमाल गैर मुस्लिमो करता है क्यों की वह मानता है की जो इस्लाम ईमान नहीं हैं वो “काफ़िर” है. वंही गैर मुस्लिम “काफ़िर” शब्द को अपमानजनक समझते हैं , अपने सभी ने की इस्लामिक आतंकवादी गैर मुस्लिमो को “काफ़िर” ही संबोधित करते हैं। इस लेख में आप जानेंगे की “काफ़िर ” शब्द का अर्थ क्या होता है.
 
काफिर शब्द का माद्दा या मूल-धातु है – कुफ्र। जिसके अरबी भाषा में 3 अर्थ होते हैं
1 -काफ़िर शब्द की उत्पति
 
1. छिपाने वाला
कफिर शब्द “कफ़्र” बना है जिसका अर्थ होता है “ढकना ” या “छिपाना ” . इस्लाम उदय से पहले अरब के किसान अनाज के बीजो को खेत में फसल बोने के लिए जमीन में गाड़ते थे उस प्रक्रिया को वो “कफ़्र ” कहते थे। इस प्रकार काफ़िर शब्द का प्रयोग उस व्यक्ति के लिए किया था जो “छिपा ” या ” ढ़का ” हो।
 
2. अकृतज्ञ (नाशुक्रा)
इस्लाम के उदय के बाद “काफ़िर ” शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम मक्का में किया गया , मुस्लिमो ने काफ़िर उन्हें कहा जिन्होंने इस्लाम को नहीं माना । मुस्लिम समझते थे की जिन्होंने इस्लाम( जो की उनके लिए अल्लाह की तरफ उतरा सन्देश था ) को नहीं माना वो काफ़िर हैं। क्यों की वो समझते थे की अल्लाह ने क़ुरान के रूप में सत्य का सन्देश दिया है और जो इस्लाम को नहीं अपना रहा है वह सत्य से “छिप ” रहा है या सत्य को “ढक ” रहा है इस कारण उन्होंने इस्लाम न अपनाने वालो को “काफ़िर” संबोधित किया । जिस प्रकार चोर , कपटी सत्य से छुपना चाहता है या सत्य परे रहता है ,उसी प्रकार उसी प्रकार अरबी मुस्लिमो मानना था की जो इस्लाम को नहीं अपना रहा है वह भी अल्लाह / कुरान रुपी सत्य से छिप रहा है।
 
3. इनकार करने वाला
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हो सकता है आपने काफिर शब्द की ये व्याख्या पहले कभी नहीं सुनी होगी, क्यूंकि जैसा मैंने पहले लिखा है कि अधिकतर मुस्लमान भी इस शब्द का सही अर्थ नहीं जानते । इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि मुसलमानों की बड़ी संख्या अरबी भाषा नहीं जानती है। इसी वजह से वह भी काफिर शब्द का वही मतलब समझते हैं जो आप समझते हैं। आईये क़ुरआन से कुछ प्रमाण देखते है और फिर फैसला करते हैं कि क्या काफिर शब्द का अर्थ छिपाने वाला, अकृतज्ञ (नाशुक्रा) और इनकार करने वाला ही होता है या कुछ और।
2- काफ़िर शब्द कुरान में –
 
1. छिपाने वाला
कुरान में काफ़िर( अधर्मी) शब्द उसके लिए प्रयोग हुआ है जो “अल्लाह ” में इमान न लाता हो , क़ुरान में काफ़िर और इसका बहुवचन “कुफ़्रों” शब्द प्रयोग 134 बार है । “कुफ्र ” शब्द प्रयोग 37 बार उनके लिए हुआ है जो इस्लाम अल्लाह यकीन नहीं रखते।
 
क़ुरआन की एक आयत में किसान को भी काफिर कहा गया है, क्यूंकि किसान ख़ेती के लिए धरती में बीज छिपाता है ।
देखिये कुरान में आयते जो काफिरों के लिए प्रयोग हुयी हैं –
 
كَمَثَلِ غَيْثٍ أَعْجَبَ الْكُفَّارَ نَبَاتُهُ
सूरह हदीद (57:20)
 
अर्थात, उसकी मिसाल उस बारिश की तरह है जिससे किसान को उसकी पैदावार अच्छी लगे…
1 -“और जब उन्हें वाले देखते तो कहते “यह तो भटके हुए हैं “( क़ुरान 83 :32 )
 
इस आयत में कुफ्फार (कुफ्र करने वाला) शब्द का अर्थ किसान इसलिए लिया है क्यूंकि किसान छिपाना वाला है – धरती में बीज।
 
अरबी भाषा का एक मुहावरा है
2 -” झुठलाने वालों को शीघ्र दंड मिलके रहेगा (26 :1 )
 
کَالکَرمِ اِذ نادٰی من الکَافورِ
अर्थात, जैसे अंगूर ग़िलाफ़ से ज़ाहिर होता है।
 
इस मुहावरे के अनुसार अंगूर के छिलके को काफिर कहा गया है क्यूंकि अंगूर का छिलका अंगूर को छिपा लेता है।
3- ” ये रसूल! जो लोग अधर्म के मार्ग पर दौड़ते हैं , उनके लिए तुम दुखी न होना , वे जिन्होंने अपने मुंह से कहा ” हम ईमान आये ” किन्तु से ईमान नहीं लाये ,और ये जो यहूदी हैं झूठ के लिए कान लगाते हैं और उन दुसरे लोगो की तरह सुनते हैं जो तुम पर ईमान नहीं लाये , यह वही लोग हैं जिनके दिलो को अल्लाह ने स्वच्छ रखना नहीं चाहा । उनके लिए संसार में भी अपमान औरतिरिस्कार है और आखिरत में भी यातना है ( कुरान , 5 : 41 )
 
2. अकृतज्ञ (नाशुक्रा)
 
काफिर शब्द का एक और अर्थ है – अकृतज्ञ (नाशुक्रा)।
पाठक मित्र चाहे तो इन आयतों की जाँच http://quranhindi.com/ पर भी कर सकते हैं।
 
क़ुरआन में बहुत सारी आयतों से यह प्रमाण मिलता है कि काफिर शब्द का अर्थ अकृतज्ञ या नाशुक्रा है। उदाहरण;
<ref>http://quranhindi.com/</ref>
 
إِنَّا هَدَيْنَاهُ السَّبِيلَ إِمَّا شَاكِرًا وَإِمَّا كَفُورًا
सूरह इन्सान (76:3)
 
निसन्देह हमने उसको हिदायत का रास्ता दिखाया, अब चाहे वह शुक्र गुज़ार हो जाये नाशुक्रा (अकृतज्ञ) हो जाये ।
 
قالَ هٰذا مِن فَضلِ رَبّي لِيَبلُوَني أَأَشكُرُ أَم أَكفُرُ ۖ وَمَن شَكَرَ فَإِنَّما يَشكُرُ… لِنَفسِهِ ۖ وَمَن كَفَرَ فَإِنَّ رَبّي غَنِيٌّ كَريمٌ
(सूरह नम्ल 27:40)
 
…कहने लगे ये महज़ मेरे परवरदिगार का फज़ल व करम है ताकि वह मेरा इम्तेहान ले कि मै उसका शुक्र करता हूँ या नाशुक्री करता हूँ और जो कोई शुक्र करता है वह अपनी ही भलाई के लिए शुक्र करता है और जो शख़्स नाशुक्री करता है तो मेरा परवरदिगार यक़ीनन सख़ी और करम करने वाला है ।
 
3. इनकार करने वाला
 
यहाँ एक सवाल ये उठता है कि किसका इनकार? इस सवाल का जवाब जानने से पहले ये समझना ज़रूर है कि कोई व्यक्ति किसी भी चीज़ का इनकार तब करता है जब उस तक वह बात पहुँच जाती है और साथ में सिद्ध भी कर दी जाती है। मुस्लमान अगर ये दावा करते हैं कि इस्लाम शान्ति का धर्म है तो क्या उन्होंने ये बात सिद्ध भी की है कि इस्लाम शान्ति का धर्म। बिना किसी बात को सिद्ध करे क्या किसी मुस्लमान के लिए ये उचित है कि वह किसी के लिए ये कह सके कि इन्होने शान्ति का इनकार किया। संसार में हर इंसान शान्ति चाहता है, अगर किसी को समझ आजाये कि इस काम या मार्ग से शान्ति प्राप्त होगी तो भला वह उसका इनकार क्यों करेगा।
 
यह काफिर शब्द के तीन अर्थ हैं – छिपाने वाला, अकृतज्ञ (नाशुक्रा), इनकार करने वाला।
 
==विभिन्न प्रकार के काफ़िर==
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==सन्दर्भ==
{{reflist}}http://quranhindi.com/
 
== बाहरी कड़ियाँ ==