"रंभा": अवतरणों में अंतर

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प्रसिद्ध अप्सरा रंभा की उत्पत्ति देवासुर के समुद्र मंथन से मानी जाती है। यह सौंदर्य के एक प्रतीक के रूप में प्रसिद्ध है। इंद्र ने देवताओं से इसे अपनी राजसभा के लिए प्राप्त किया था। एक बार इन्हों विश्वामित्र की तपस्या को भंग करने के लिए भेजा था किंतु महर्षि ने उससे प्रभावित होकर इसे एक सहस्त्र वर्ष तक पाषाण के रूप में रहने का श्राप दिया। कहा जाता है कि एक बार जब वह कुबेर पुत्र के यहाँ जा रही थी तो कैलाश की और जाते हुए रावण ने मार्ग में रोककर उनके साथ बलात्कार किया था।
रति का उल्लेख प्राचीन काल से ही वेद शतपथ ब्राह्मण एवं उपनिषदों में होता चला आ रहा है। इन परंपराओं में इसे सौंदर्य की अधिष्ठात्री देवी एवं उषा के समकक्ष कहा गया है। पौराणिक परंपरा में दक्ष की पुत्री एवं शतपथ ब्राह्मण के अनुसार गंधर्व कन्या के रूप में इनका उल्लेख मिलता है। दक्ष एवं गंधर्व वस्तुतः विलासी जातियां रही है
संदर्भ- हिंदी साहित्य कोश, भाग़- 2, पृष्ठ- 468
"https://hi.wikipedia.org/wiki/रंभा" से प्राप्त