"शैलीविज्ञान": अवतरणों में अंतर

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{{स्रोत हीन|date=अगस्त 2014}}{{Original research}}'''शैलीविज्ञान''' (stylistics) शब्द दो शब्दो से मिलकर बना है- शैली और विज्ञान, जिसका शाब्दिक अर्थ है 'शैली का विज्ञान' अर्थात‌‌‌‌ जिस विज्ञान में शैली का वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित रूप सें अध्ययन किया जाए वह शैलीविज्ञान है। ’शैली’ शब्द अंग्रेजी के स्टाइल (Style) शब्द का हिन्दी रूपान्तर है। उसी प्रकार 'शैलीविज्ञान' अंग्रेजी के स्टाइलिस्टिक्स (Stylistics) है।
 
शैलीविज्ञान [[भाषाविज्ञान]] एवं [[साहित्य सिद्धान्त|साहित्यशास्त्र]] दोनों की सहायता लेता हुआ भी दोनों से अलग स्वतंत्र विज्ञान है। शैलीविज्ञान एक ओर भाषाशैली का अध्ययन साहित्यशास्त्र के सिद्धांतों के आधार पर करता है, जिसमें रस, अलंकार, वक्रोक्ति, ध्वनि, रीति, वृत्ति, प्रवृत्ति, शब्द-शक्ति, गुण, दोष, बिंब, प्रतीक आदि आते हैं। दूसरी ओर शैलीविज्ञान के अंतर्गत भाषा-शैली का अध्ययन भाषाविज्ञान के सिद्धांतों के आधार पर किया जाता है, जिसमें भाषा की प्रकृति और संरचना के अनुशीलन को महत्त्व दिया जाता है।
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साहित्यशास्त्र के आधार पर किसी कवि, लेखक, कृति का शैलीवैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है अर्थात रस, अलंकार, वक्रोक्ति, रीति, ध्वनि, गुण, दोष, वृत्ति, प्रवृत्ति, बिंब, छंद आदि के आधार पर देखा जाता है कि लेखक या कवि ने साहित्यशास्त्र के सिद्धांतों का अनुसरण उचित रूप में कहाँ तक किया है एवं कृति या रचना की शैली में साहित्यशास्त्र के नियमों का पालन व्यवस्थित ढंग से कहाँ तक हुआ है। इस प्रकार का अध्ययन साहित्यशास्त्र के क्षेत्र की ही वस्तु मानी जाएगी।
 
भाषाविज्ञान के आधार पर किसी कवि या लेखक की रचना में प्रयुक्त भाषा की प्रकृति और संरचना के तत्त्वों का वैज्ञानिक विश्लेषण करते हैं। प्रकृति और संरचना के आधार पर भाषा के पाँच तत्त्व माने जाते हैं- ध्वनि, शब्द, रूप, वाक्य और अर्थ। इसके आधार पर देखा जाता है कि कवि की भाषा में कहाँ ध्वनि-विचलन, ध्वनि-चयन, ध्वनि-समानान्तर का प्रयोग हुआ, कहाँ शब्द-विचलन, शब्द -चयन, शब्द-समानान्तर किया गया। इसी प्रकार रूप-स्तर, वाक्य-स्तर तथा अर्थ-स्तर पर भी अध्ययन किया जाता है। वाक्यों के अंतर्गत मुहावरे एवं लोकोक्तियों के विचलन आदि का अध्ययन भी किया जाता है। इस प्रकार भाषाविज्ञान के आधार पर कृतिकार की भाषा का विश्लेषण अत्यंत गहराई के साथ किया जाता है।
 
==रीति और शैली==
हिन्दी में 'स्टाइल' शब्द के लिए 'शैली' के साथ-साथ 'रीति' शब्द का भी प्रयोग होता रहा है । जैसे [[विद्यानिवास मिश्र]] ने उसका प्रयोग किया है। रीति शब्द का समर्थन करते हुए वह कहते हैं -
: ''शैली का प्रयोग प्राचीन भारतीय वाङ्मय में साहित्येत्तर विधाओं के सन्दर्भ में प्रादेशिक विशेषताओं को बताने के लिए हुआ है, या किसी व्यक्ति की साहित्यिक अभिव्यक्ति की विशेषताओं को बताने के लिए आधुनिक समीक्षा साहित्य में हुआ है।''<ref>डॉ विद्यानिवास मिश्र, रीतिविज्ञान, पृष्ठ १४</ref>
 
== भारत में शैलीविज्ञान ==
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जैसे भाषाविज्ञान के दो रूप हैं- सैद्धांतिक भाषाविज्ञान एवं प्रायोगिक भाषाविज्ञान; उसी प्रकार शैलीविज्ञान के भी दो रूप हैं - सैद्धांतिक शैलीविज्ञान एवं प्रयोगिक शैलीविज्ञान। सैद्धांतिक शैलीविज्ञान में शैली के सिद्धातों की वैज्ञानिक व्याख्या होती है और प्रयोगिक शैलीविज्ञान में सिद्धांत के आधार पर किसी ग्रंथ या ग्रंथकार की शैली का वर्गीकरण, विवेचन, तथा विश्लेषण किया जाता है।
 
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
 
==इन्हें भी देखें==
*[[शैली]]
 
== बाहरी कड़ियाँ ==