"तिलपत": अवतरणों में अंतर

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10 मई 1666 को जाटों व औरंगजेब की सेना में तिलपत में लड़ाई हुई। लड़ाई में जाटों की विजय हुई। मुगल शासन ने इस्लाम धर्म को बढावा दिया और किसानों पर कर बढ़ा दिया। गोकुला ने किसानों को संगठित किया और कर जमा करने से मना कर दिया। औरंगजेब ने बहुत शक्तिशाली सेना भेजी। गोकुला को बंदी बना लिया गया और 1 जनवरी 1670 को आगरा के किले पर जनता को आतंकित करने के लिये टुकडे़-टुकड़े कर मारा गया। गोकुला के बलिदान ने मुगल शासन के खातमें की शुरुआत की।
 
तिलपत के रहने वाले किशोरी नेमान्यता बताया कि तिलपत [[महाभारत]] के समय का गांव है। इसका प्राचीन नाम तिलपथ हुआ करता था। मैंने बुजुर्गों से सुना कि महाभारत का युद्ध शुरू होने से पहले जब भगवान श्रीकृष्ण संधि का आखिरी प्रयास करने दुर्योधन के पास गए और पांडवों को 5 गांव देने की मांग की थी तो उनमें श्रीपत (सिही), बागपत, सोनीपत, पानीपत के अलावा तिलपत को भी चुना था, लेकिन दुर्योधन ने सुई की नोक के बराबर भी जमीन देने से इनकार कर दिया था। इतना ही नहीं यह भी मान्यता है कि यहां पर पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण के साथ यज्ञ भी किया था। जहां पर यज्ञ किया गया था, उस जगह आज बाबा सूरदास की समाधि बनी हुई है।
 
== इन्हें भी देखें ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/तिलपत" से प्राप्त