'''ज्येष्ठाधिकार''' ({{lang-en|Primogeniture}}) कानून या रिवाजों के तहत ज्येष्ठ और जायज़ पुत्र का वो अधिकार होता है जिसके तहत उसका अपने छोटे भाई बहनों या बड़े नाजायज़ भाईयोंभाइयों की तुलना में अपने पिता की सम्पत्ति और राज पर पहला अधिकार होता है। <ref>{{Cite web |url=http://esede.mjusticia.es/cs/Satellite/en/1215197183446/Tramite_C/1215326462418/Detalle.html |title=संग्रहीत प्रति |access-date=11 दिसंबर 2015 |archive-url=https://web.archive.org/web/20090803062402/http://esede.mjusticia.es/cs/Satellite/en/1215197183446/Tramite_C/1215326462418/Detalle.html |archive-date=3 अगस्त 2009 |url-status=dead }}</ref>यह अधिकार उसके ज्येष्ठ पुत्र को भी विरासत में प्राप्त होता है और उसकी मृत्यु या उसके हटने पर उसके जीवित छोटे भाई के बजाय उसका बड़ा बेटा उसकी सम्पत्ति या ज्येष्ठता की वजह से मिले उसके राज अधिकारों को ग्रहण करता है। किसी संतान के ना होने की अवस्था में उस व्यक्ति के छोटे भाई (उम्र के क्रम में) उसके अधिकारों को ग्रहण करते हैं। भाई बहनों में बहन से पहले भाई को अधिकार मिलता है भले वो बहन से छोटा हो। पुरुष वंशजों की अनुपस्थिति में ज्येष्ठाधिकार के कई संस्करण हैं जो या तो बेटियों, या फिर भाई या फिर किसी सगे-संबंधी को क्रमानुसार मिलते हैं। यह बहुत हद तक उस व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर कर्ताकरता है जिससे यह अधिकार दूसरे के पास जाने वाले हैं।
इतिहास में यह बात व्यक्ति की सम्पत्ति, उसके स्थायी कार्यालयों, अधिकारों, राजपाठों पर लागू होते आई है।