"शकील अहमद खान": अवतरणों में अंतर

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छात्र जीवन के बाद शकील अहमद खान ने थोड़े समय के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर कार्य किया लेकिन राजनीति में रुचि के चलते इन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया और राजनीति में सक्रिय हो गए। शकील अहमद खान ने बिहार के कटिहार और अररिया संसदीय क्षेत्र से चुनाव भी लड़ा लेकिन उन्हें पहली सफलता वर्ष 2015 में मिली जब वो बिहार विधानसभा चुनाव में कटिहार के कदवा विधानसभा क्षेत्र से विजयी घोषित हुए। चुनाव में उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी के चंद्रभूषण ठाकुर को 5,799 मतों से पराजित किया। शकील अहमद खान को जहां कुल 56,141 मत प्राप्त हुए वहीं भारतीय जनता पार्टी के उनके प्रतिद्वंदी को कुल 50,342 मत प्राप्त हुए।
 
शकील अहमद खान ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र नेता के रूप में की। जहां वो वर्ष 1992 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुए। शकील ने अपना राजनीतिक सफर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से जुड़े छात्र संगठन एसएफआई के कार्यकर्ता के रूप में की लेकिन बाद में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। वर्तमान में शकील अहमद खान कदवा के विधायक के साथ-साथ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव के रूप में कार्यरत हैं।
 
==धारित पद==