"अष्टाङ्गहृदयम्": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Rescuing 3 sources and tagging 0 as dead.) #IABot (v2.0.1 |
मैंने अपनी कुशलता और निरंतर अभ्यास से अष्टाङ्गहृदयम् पुस्तक और महर्षि बगभट जी की यह पुस्तक आने वाली पीढ़ियों के सबसे ज्यादा प्रभावित और उपयोगी साबित होने वाले सच्चाई को यहां पर बताया है । मेरा नाम सर्वेश कुमार है । टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 4:
[[चरक संहिता|चरकसंहिता]], [[सुश्रुत संहिता|सुश्रुतसंहिता]] और [[अष्टाङ्गहृदयम्]] को सम्मिलित रूप से '''[[वृहत्त्रयी]]''' कहते हैं।
अष्टांगहृदय में आयुर्वेद के सम्पूर्ण विषय- काय, शल्य, शालाक्य आदि आठों अंगों का वर्णन है। उन्होंने अपने ग्रन्थ के विषय में स्वयं ही कहा है कि, यह ग्रन्थ शरीर रूपी आयुर्वेद के हृदय के समान है। जैसे- शरीर में हृदय की प्रधानता है, उसी प्रकार आयुर्वेद वाङ्मय में अष्टांगहृदय, [[हृदय]] के समान है। अपनी विशेषताओं के कारण यह ग्रन्थ अत्यन्त लोकप्रिय हुआ।
यह पुस्तक आने वाली पीढ़ियों के सबसे कुशाल और निपुण पुस्तक साबित होगी। मै सर्वेश कुमार महत्वपूर्ण काल के दौरान इस बात को पुष्टि करता हूं । और राजीव दीक्षित जी को और सभी निस्वार्थ परम पूज्य स्वामी को प्रेम पूर्वक दिल के गहराई से अभिनंदन और आभार व्यक्त करता हूं।
==संरचना==
|