"अष्टाङ्गहृदयम्": अवतरणों में अंतर
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मैंने अपनी कुशलता और निरंतर अभ्यास से अष्टाङ्गहृदयम् पुस्तक और महर्षि बगभट जी की यह पुस्तक आने वाली पीढ़ियों के सबसे ज्यादा प्रभावित और उपयोगी साबित होने वाले सच्चाई को यहां पर बताया है । मेरा नाम सर्वेश कुमार है । टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
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'''अष्टाङ्गहृदयम्''', [[आयुर्वेद]] का प्रसिद्ध [[ग्रंथ]] है। इसके
[[चरक संहिता|चरकसंहिता]], [[सुश्रुत संहिता|सुश्रुतसंहिता]] और [[अष्टाङ्गहृदयम्]] को सम्मिलित रूप से '''[[वृहत्त्रयी]]''' कहते हैं।
अष्टांगहृदय में आयुर्वेद के सम्पूर्ण विषय-
==संरचना==
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*६) उत्तरस्थान (४० अध्याय)
==विशेषताएँ==
1. सूत्रस्थान में 30 अध्याय है। [[दिनचर्या]], [[रात्रिचर्या]], [[ऋतुचर्या]],
2. शल्यविधि, शल्य आहरण (शरीर में चुभे धातु के टुकड़े को शस्त्र से निकालना), शिरा वेध (रक्त को वहन करने वाली शिरा का वेध करना) आदि का वर्णन है।
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3. अष्टांगहृदय पद्यमय है जबकि अष्टांगसंग्रह गद्य एवं पद्य दोनों रूप में है।
4. वाग्भट्ट संहिता में
5. [[मद्यव्यसनिता|मद्यपान]] के लिए सुन्दर श्लोकों का वर्णन किया गया है। इस संहिता में [[बौद्ध धर्म]] की विशेषता दिखाई देती है। महामयुरीविद्या का भी उल्लेख है।
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11. अपने समकक्ष आचार्यो के आयुर्वेद से सम्बन्धित सिद्धान्तों को सरलता से समझाना इस संहिता की विशिष्टता है।
==सन्दर्भ==
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==इन्हें भी देखें==
*[[अष्टांगसंग्रह]]
== बाहरी कड़ियाँ ==
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