"महिषासुर": अवतरणों में अंतर

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महिषासुर सृष्टिकर्ता [[ब्रम्हा]] का महान [[भक्त]] था और ब्रम्हा जी ने उन्हें [[वरदान]] दिया था कि कोई भी [[देवता]] या [[दानव]] उसपर विजय प्राप्त नहीं कर सकता।
 
महिषासुर बाद में [[स्वर्ग लोक]] के देवताओं को परेशान करने लगा और [[पृथ्वी]] पर भी उत्पात मचाने लगा। उसने [[स्वर्ग]] पर एक बार अचानक आक्रमण कर दिया और [[इंद्र]] को परास्त कर स्वर्ग पर कब्ज़ा कर लिया तथा सभी देवताओं को वहाँ से खदेड़ दिया। देवगण परेशान होकर [[त्रिमूर्ति]] [[ब्रम्हा]], [[विष्णु]] और [[महेश]] के पास सहायता के लिए पहुँचे। सारे देवताओं ने फिर से मिलकर उसे फिर से परास्त करने के लिए युद्ध किया परंतु वे फिर हार गये। कहानी में यह नहीं बताया गया है कि स्वर्ग कहा इस्थित था।
 
कोई उपाय न मिलने पर देवताओं ने उसके विनाश के लिए [[दुर्गा]] का सृजन किया जिसे [[शक्ति]] और [[पार्वती]] के नाम से भी जाना जाता है। देवी दुर्गा ने महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया। इसी उपलक्ष्य में हिंदू भक्तगण दस दिनों का [[त्यौहार]] [[दुर्गा पूजा]] मनाते हैं और दसवें दिन को [[विजयादशमी]] के नाम से जाना जाता है। जो बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है।