"परजीविता": अवतरणों में अंतर
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जब अतिथि, परपोषी की बाह्य सतह पर रहता है तो उसे '''बाह्यपरजीवी''' (ectoparasite) और जब भीतर रहता है तो उसे '''अन्तःपरजीवी''' (endoparasite) कहते हैं।
मोटे तौर पर यदि देखा जाय तो जन्तु समुदाय के सभी सदस्य किसी न किसी जन्तु या पौधे पर निर्वाह करने के कारण 'परजीवी' कहे जाने चाहिए। केवल पौधे ही ऐसे जीव हैं जो अपना भोजन स्वयं बनाते हैं और किसी दूसरे जीव पर निर्भर नहीं करते। परन्तु मांसाहारिता (या पौधाहारिता) और परजीविता में भेद है, जो प्रकृतिवादी एल्टन (Elton, सन् १९३५) के प्राक्कथन से स्पष्ट हो जाता है। इनके अनुसार, जन्तु को मारकर खानेवाले और परजीवी में वही भेद है जो मूलधन और ब्याज पर निर्वाह करनेवालों में, अथवा चोर और धमकाकर रुपया ऐंठनेवाले (
) में हैं। ==परजीविता की उत्पत्ति==
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