"मुरैना": अवतरणों में अंतर

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=== कुतवार ===
चंबल घाटी का यह सबसे प्राचीन गांव कुंतलपुर के नाम से भी जाना जाता है। यह गांव महाभारत काल के हस्तिनापुर, राजग्रह और चढी के समकक्ष प्राचीन माना जाता है। यहां के दर्शनीय स्‍थलों में प्राचीन देवी अंबा या हरीसिद्धी देवी मंदिर तथा आसन नदी पर बना चन्‍द्राकार बांध है।
कुतवार जगह देखते ही महाभारत की यादें ताजा हो जाती हैं। इस स्थान का संबंध पांडवों की मां कुंती से है। महाभारत काल में इसे कुंतीभोज नाम से भी जाना जाता था। क्यों खास है महाभारत कालीन कुतवार(कुंतीभोज)...
-अाईआईटीटीएम के डायरेक्टर प्रोफेसर संदीप कुलश्रेष्ठ ने बताया कि यह जगह ग्वालियर से लगभग 45 किमी दूर मुरैना जिले में स्थित है।
- यह जगह महाभारत कालीन है, इसे कुछ लोग कुतवार के नाम से जानते हैं।
-इस स्थान का संबंध पांडवों की मां कुंती से है। महाभारत काल में इसे कुंतीभोज नाम से भी जाना जाता था।
-वीर पांडव, अर्जुन की ननसार भी यही है और अर्जुन व श्रीकृष्ण द्वारा बनवाए गए हरिसिद्धी मंदिर और देवी कुंती द्वारा पूजा गया शिवलिंग भी यहीं स्थापित है।
-पास ही आसन नदी का तट जहां आज भी सूर्य के घोड़ों की टाप और सूर्य के पदचिन्हों की छाप मौजूद है।
भगवान सूर्य नारायण ने यहां उतारा था अपना रथ
- कहा जाता है कि इसी स्थान पर महाभारत काल में भगवान सूर्य नारायण ने अपना रथ उतारा था और कुंती से भेंट की।
-किवदंती है कि यहां महर्षि दुर्वासा की तपस्थली भी है।
-खुदाई में नागराजवंश के समय के सिक्के व बर्तनों का मिलना इस स्थान की ऐतिहासिक सत्यता को और मजबूत बनाता है।
-सिंधिया स्टेट के समय आसन नदी पर यहां अर्धचंद्राकार बांध भी बनाया गया था।
 
=== पडावली ===