"अग्रसेन की बावली": अवतरणों में अंतर

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क़रीब 60 मीटर लंबी और 15 मीटर ऊंची इस बावली के बारे में विश्वास है कि [[महाभारत]] काल में इसका निर्माण कराया गया था। बाद में [[अग्रवाल|अग्रवाल समाज]] ने इस बावड़ी का जीर्णोद्धार कराया। यह दिल्ली की उन गिनी चुनी बावड़ीयों में से एक है, जो अभी भी अच्छी स्थिति में हैं। [[जंतर मंतर]] के निकट, हेली रोड पर यह बावड़ी मौजूद है। यहाँ पर [[नई दिल्ली]] और [[पुरानी दिल्ली]] के लोग कभी [[तैराकी]] सीखने के लिए आते थे।<ref>Suryakanta(1975), Sanskrit Hindi English Dictionary, page 519, Orient Longman (ISBN 086125 248 9).</ref><ref>Whitworth,George Clifford (1885), An Anglo-Indian Dictionary (See Baoli).</ref>
[[File:Aab Anbaar.JPG|thumb|अग्रसेन की बावड़ी, पारसी स्थापत्य]]
बावड़ी की स्थापत्य शैली उत्तरकालीन तुग़लक़ तथा लोदी काल (13वी-16वी ईस्वी) से मेल खाती है।<ref>{{Cite web |url=http://india9.com/i9show/Baoli-61723.htm |title=संग्रहीत प्रति |access-date=15 जून 2020 |archive-url=https://web.archive.org/web/20180205080848/http://www.india9.com/i9show/Baoli-61723.htm |archive-date=5 फ़रवरी 2018 |url-status=dead }}</ref><ref>City Walls, edited by James D.Tracy (2000), Studies in Comparative Early Modern History, University of Minnesota, Center for Early Modern History, pages 251-252, Cambridge University Press.</ref> लाल बलुए पत्थर से बनी इस बावड़ी की वास्तु संबंधी विशेषताएँ तुग़लक़ और लोदी काल की तरफ़ संकेत कर रहे हैं, लेकिन कहा जाता है कि इस प्राचीन बावली को अग्रहरि एवं अग्रवाल समाज के पूर्वज उग्रसेन ने बनवाया था। इमारत की मुख्य विशेषता है कि यह उत्तर से दक्षिण दिशा में 60 मीटर लम्बी तथा भूतल पर 15 मीटर चौड़ी है।<ref>Cohen, Richard (1989), An early Attestation of the Toponym Dhilli, Journal of the American Oriental Society, Volume 109, No.4 (Oct-Dec 1989) pages 513-519.</ref> पश्चिम की ओर तीन प्रवेश द्वार युक्त एक मस्जिद है। यह एक ठोस ऊँचे चबूतरे पर किनारों की भूमिगत दालानों से युक्त है। इसके स्थापत्य में ‘[[ह्वेल|व्हेल]] मछली की पीठ के समान’ छत, ‘चैत्य आकृति’ की नक़्क़ाशी युक्त चार खम्बों का संयुक्त स्तम्भ, चाप स्कन्ध में प्रयुक्त पदक अलंकरण इसको विशिष्टता प्रदान करता है।<ref>{{Cite web |url=http://www.rainwaterharvesting.org/Rural/Traditional2.htm |title=संग्रहीत प्रति |access-date=6 अगस्त 2014 |archive-url=https://web.archive.org/web/20140807042823/http://www.rainwaterharvesting.org/Rural/Traditional2.htm |archive-date=7 अगस्त 2014 |url-status=livedead }}</ref>
 
अग्रसेन की बावली दिल्ली का एक लोकप्रिय ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। बॉलीवुड की लोकप्रिय फिल्म पीके के कुछ सीन यहां फिल्माए गए थे।<ref>{{Citation|title=Agrasen ki Baoli {{!}}{{!}} देखिए फिल्म PK में आमीर खान का घर , दिल्ली में है जगह {{!}}{{!}} Tara Chand Gawariya|url=https://www.youtube.com/watch?v=JJW00cdxkKI|language=hi-IN|access-date=2020-06-02}}</ref>