"बृहत्संहिता": अवतरणों में अंतर

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वृहत्संहिता में १०६ अध्याय हैं। यह अपने महान संकलन के लिये प्रसिद्ध है।
 
*१-२६. पीठिका, विविध ज्यौतिषोपयोगी विषय, ग्राहचारोग्राहचार, ग्रहभुक्तिर्ग्र्हयुध्दम्ग्रहभुक्ति, ग्रहयुद्ध इत्यादि ।
:: (१- परिचय , २- ज्योतिष, ३-आदित्यचार, ४-चन्द्रचार, ५-राहुचार, ६-भौमचार, ७-बुधचार, ८-बृहस्पतिचार, ९-शुक्रचार, १०-शनैश्चरचार, ११-केतु, १२-अगस्त्य, १३-सप्तर्षि, १४-कूर्मविभाग, १५-नक्षत्रव्यूह, १६-ग्रहभक्तियोग, १७-ग्रहयुद्ध, १८-शशिग्रहसमागम, १९-ग्रहवर्षाफल, २०-ग्रहशृंगाटक, २१-गर्भलक्षण, २२-गर्भधारण, २३-प्रवर्षण, २४-रोहिणीयोग, २५-स्वातियोग, २६-आषाढ़ीयोग)
 
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*३७-प्रतिसूर्यलक्षण
*३८-रजस्-लक्षण (धूलभरी आंधी के लक्षण)
*३९-वात्या ([[आकाशीय विजलीबिजली]])
*४०-सश्य-जातक
*४१-द्रव्य-निश्चय
*४२-नक्षत्रराश्यानुगुण्येन वित्तस्फातिः, महार्घता, मौल्यह्रासश्च ।और मौल्यह्रास
*४३-इन्द्रध्वज
*४४-नीराजनविधि