"अनुलोम-विलोम प्राणायाम": अवतरणों में अंतर

छो ANAND RJ (Talk) के संपादनों को हटाकर संजीव कुमार के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
अपने बदलाव से मैने इस लेख की व्याकरण को सुधारा और इस प्राणायाम की अपूर्ण जानकारी को पूर्ण किया।
पंक्ति 2:
{{ज्ञानकोषीय नहीं|date=सितंबर 2014}}
{{प्रतिलिपि सम्पादन|date=सितंबर 2014}}
अनुलोम का अर्थ होता है सीधा और विलोम का अर्थ है उल्टा। यहां पर सीधा का अर्थ है नासिका या नाक का दाहिना छिद्र और उल्टा का अर्थ है-नाक का बायां छिद्र। अर्थात '''[https://www.lifesfact.com अनुलोम-विलोम प्राणायाम]''' में नाक के दाएं छिद्र से सांस खींचते हैं, तो बायीं नाक के छिद्र से सांस बाहर निकालते है। इसी तरह यदि नाक के बाएं छिद्र से सांस खींचते है, तो नाक के दाहिने छिद्र से सांस को बाहर निकालते है। अनुलोम-विलोम प्राणायाम को कुछ योगीगण 'नाड़ी शोधक प्राणायाम' भी कहते है। उनके अनुसार इसके नियमित अभ्यास से शरीर की समस्त नाड़ियों का शोधन होता है यानी वे स्वच्छ व निरोग बनी रहती है। इस प्राणायाम के अभ्यासी को वृद्धावस्था में भी गठिया, जोड़ों का दर्द व सूजन आदि शिकायतें नहीं होतीं।
 
== विधि ==
पंक्ति 36:
सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन में बैठें। शुरुवात और अन्त भी हमेशा बाये नथुने (नोस्टील) से ही करनी है, नाक का दाया नथुना बंद करें व बाये से लंबी सांस लें, फिर बाये को बंद करके, दाया वाले से लंबी सांस छोडें...अब दाया से लंबी सांस लें व बाये वाले से छोडें...याने यह दाया-दाया बाया-बाया यह क्रम रखना, यह प्रक्रिया १०-१५ मिनट तक दुहराएं| सास लेते समय अपना ध्यान दोनो आँखो के बीच में स्थित आज्ञा चक्र पर ध्यान एकत्रित करना चाहिए। और मन ही मन में सांस लेते समय ओउम-ओउम का जाप करते रहना चाहिए। हमारे शरीर की ७२,७२,१०,२१० सुक्ष्मादी सुक्ष्म नाडी शुद्ध हो जाती है। बायी नाडी को चन्द्र (इडा, गन्गा) नाडी, और दाई नाडी को सूर्य (पीन्गला, यमुना) नाडी केहते है। चन्द्र नाडी से थण्डी हवा अन्दर जती है और सूर्य नाडी से गरम नाडी हवा अन्दर जती है।थण्डी और गरम हवा के उपयोग से हमारे शरीर का तापमान संतुलित रेहता है। इससे हमारी रोग-प्रतिकारक शक्ती बढ जाती है।
 
* इस आसन को करने के लिए सबसे उचित समय वह माना जाता हैं जब आप खाली पेट हो।
* सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन में बैठें।
* अब जमीन पर पद्मासन, सिद्धासन या वज्रासन में से किसी भी आसन की स्थिति में बैठ जाए। इसमें पद्मासन सबसे उत्तम है।
* शुरुवात और अन्त भी हमेशा बाये नथुने (नोस्टील) से ही करनी है।
* अब बाएं हाथ को घुटने पर टिका कर इस हाथ से चिन मुद्रा बना लें।
* नाक का दाया नथुना बंद करें व बाये से लंबी सांस लें।
* दाहिने हाथ के अंगूठे से दाहिने नथुने को बंद करें और बाएं नथुने से धीरे - धीरे सांस लें।
* फिर बाये को बंद करके, दाया वाले से लंबी सांस छोडें...
* अब हाथ ही रिंग फिंगर से बाएं नथुने को बंद कर ले और दाहिने नथुने से धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
* अब दाया से लंबी सांस लें व बाये वाले से छोडें...
* अब दाहिने नथुने से सांस लेकर उसे बाएं नथुने से धीरे-धीरे छोड़ें।
* याने यह दाया-दाया बाया-बाया यह क्रम रखना, यह प्रक्रिया १०-१५ मिनट तक दुहराएं|
* इसी तरह अनुलोम विलोम प्राणायाम का यह एक क्रम पूरा हुआ।
 
== सावधानी ==
* सास लेते समय अपना ध्यान दोनो आँखो के बीच में स्थित आज्ञा चक्र पर ध्यान एकत्रित करना चाहिए।
Line 49 ⟶ 51:
== फायदे ==
* हमारे शरीर की ७२,७२,१०,२१० सुक्ष्मादी सुक्ष्म नाडी शुद्ध हो जाती है।
* हार्ट कीके ब्लाँकेज खुल जाते है।
* हाय,उच्च लोऔर दोन्होनिम्न दोनों रक्त चाप ठिक हो जायेंगे|
* आर्थराटीस, रोमेटोर आर्थराटीस, कार्टीलेज घीसनाघिसना ऐसी बीमारीओंको ठीक हो जाती है।
* टेढे लीगामेंटस सीधे हो जायेंगे|
* व्हेरीकोज व्हेनस ठीक हो जाती है।
* कोलेस्टाँल, टाँक्सीनस, आँस्कीडण्टस इसके जैसे विजतीय पदार्थ शरीर के बहार नीकल जाते है।
* सायकीक पेंशनट्स को फायदा होता है।
* कीडनीकिडनी नँचरलीप्राकृतिक स्वछरूप से स्वच्छ होती है, डायलेसीस करने की जरुरत नहीं पडती|
* सबसे बड़ा खतरनाक कँन्सरकैंसर तक ठीक हो जाता है।
* सभी प्रकारकी अँलार्जीयाँ मीटमिट जाती है।
* मेमरी बढाने की लीये|
* सर्दी, खाँसी, नाक, गला ठीक हो जाता है।
* ब्रेन ट्युमर भी ठीक हो जाता है।
* सभी प्रकार के चर्म समस्या मीटमिट जाती है।
* मस्तिषक के सम्बधित सभि व्याधिओको मीटामिटा ने के लिये।
* पर्किनसन, प्यारालेसिस, लुलापन इत्यादी स्नयुओ के सम्बधित सभि व्याधिओको मीटामिटा ने के लिये।
* सायनस की व्याधि मीटमिट जाती है।
* डायबीटीस पुरी तरह मीटमिट जाती है।
* टाँन्सीलस की व्याधि मीटमिट जाती है।
* थण्डी और गरम हवा के उपयोग से हमारे शरीर का तापमान संतुलित रेहता है।
* इससे हमारी रोग-प्रतिकारक शक्ती बढ जाती है।
 
दमा का रोग जड़ से चला जाता है ा
* अनुलोम विलोम के करने से कोई भी एलर्जी जड़ से खत्म हो जाती है।