"मिहिरकुल": अवतरणों में अंतर
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मिहिरकुल का प्रबल विरोधी नायक था [[यशोधर्मन]]। कुछ काल के लिए अर्थात् 510 ई. में एरण (तत्कालीन [[मालवा]] की एक प्रधान नगरी) के युद्ध के बाद से लेकर लगभग 527 ई. तक, जब उसने मिहिरकुल को [[गंगा नदी|गंगा]] के कछार में भटका कर क़ैद कर लिया था, उसे तोरमाण के बेटे मिहिरकुल को अपना अधिपति मानना पड़ा था। क़ैद करके भी अपनी माँ के कहने पर उसने हूण-सम्राट को छोड़ दिया था। इधर-उधर भटक कर जब मिहिरकुल को काश्मीर में शरण मिली तो सम्भवतः आर्यों ने सोचा होगा कि चलो हूण सदा के लिए परास्त हो गये। परन्तु मिहिरकुल चुप बैठने वाला नहीं था। उसने अवसर पाते ही अपने शरणदाता को नष्ट करके काश्मीर का राज्य हथिया लिया। ‘‘तब फिर उसने गांधार पर चढ़ाई की और वहाँ जघन्य अत्याचार किये। हूणों के दो तीन आक्रमणों से तक्षशिला सदा के लिए मटियामेट हो गया।
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