"मिहिर भोज": अवतरणों में अंतर

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क्षत्रिय गुर्जर सम्राट मिहिर भोज नही चाहते थे कि अरब इन दो स्थानों पर भी सुरक्षित रहें और आगे संकट का कारण बने, इसलिए उसने कई बड़े सैनिक अभियान भेज कर इमरान बिन मूसा के अनमहफूज नामक जगह को जीत कर अपने साम्राज्य की पश्चिमी सीमाएं सिन्ध नदी से सैंकड़ों मील पश्चिम तक पहुंचा दी, और इसी प्रकार भारत को अगली शताब्दियों तक अरबों के बर्बर, धर्मान्ध तथा अत्याचारी आक्रमणों से सुरक्षित कर दिया था। इस तरह सम्राट मिहिरभोज के राज्य की सीमाएं काबुल से राँची व आसाम तक, हिमालय से नर्मदा नदी व आन्ध्र तक, काठियावाड़ से बंगाल तक, सुदृढ़ तथा सुरक्षित थी।
 
== गुर्जर सम्राट मिहिर भोज द्वारा चलाये गये सिक्के ==
अरब यात्री सुलेमान और मसूदी ने अपने यात्रा विवरण में लिखा है ’जिनका नाम बराह (मिहिरभोज) है। उसके राज्य में चोर डाकू का भय कतई नहीं है। उसकी राजधानी कन्नौज भारत का प्रमुख नगर है जिसमें 7 किले और दस हजार मंदिर है। आदि बराह का (विष्णु) का अवतार माना जाता है। यह इसलाम धर्म और अरबों का सबसे बड़ा शत्रु है। मिहिर भोज अपने जीवन के पचास वर्ष युद्ध के मैदान में घोड़े की पीठ पर युद्धों में व्यस्त रहा। उसकी चार सेना थी उनमें से एक सेना कनकपाल परमार के नेतृत्व में गढ़वाल नेपाल के राघवदेव की तिब्बत के आक्रमणों से रक्षा करती थी। इसी प्रकार एक सेना अल्कान देव के नेतृत्व में पंजाब के वर्तमान नगर के समीप नियुक्त थी जो काबुल के ललियाशाही राजाओं को तुर्किस्तान की तरफ से होने वाले आक्रमणों से रक्षा करती थी। इसकी पश्चिम की सेना मुलतान के मुसलमान शासक पर नियंत्रण करती थी। दक्षिण की सेना मानकि के राजा बल्हारा से तथा अन्य दो सेना दो दिशाओं में युद्धरत रहती थी।सम्राटथी।गुर्जर सम्राट मिहिरभेाज इन चारों सेनाओं का संचालन, मार्गदर्शन तथा नियंत्रण स्वयं करता था। अपने पूर्वज गुर्जर सम्राट नागभट् प्रथम की तरह सम्राट मिहिर भोज ने अपने पूर्वजों की भांति स्थायी सेना खड़ी की जोकि अरब आक्रान्ताओं से टक्कर लेने के लिए आवश्यक थी। यदि नागभट् प्रथम के पश्चात के अन्य सम्राटों ने भी स्थायी, प्रशिक्षित व कुशल तथा देश भक्त सेना न रखी होती तो भारत का इतिहास कुछ और ही होता तथा भारतीय संस्कृति व सभ्यता नाम की कोई चीज बची नहीं होती। जब अरब सेनाएं सिन्ध प्रान्त पर अधिकार करने व उसको मुसलिम राष्ट्र में परिवर्तित करने के बाद समस्त भारत को मुसलिम राष्ट्र बनाने के लिए सेनापति मोहम्मद जुनेद के नेतृत्व में आगे बढ़ी, तो उन्हें सिन्ध से मिले गुर्जर प्रदेश जीतना जरुरी था। इसलिए उन्होंने भयानक आक्रमण प्रारम्भ किए।
 
एक तरफ अरब, सीरिया व ईराक आदि के इस्लामिक सैनिक थे, जिनका मकसद पूरी दुनिया में इस्लामी हुकूमत कायम करना था और दूसरी तरफ महान हिन्दू-धर्म व संस्कृति के प्रतीक गुर्जर-प्रतिहार। अरबी धर्मांध योद्धा "अल्लाह हूँ अकबर” के उद्घोष के साथ युद्ध में आते तो मिहिर भोज की सेना "जय महादेव जय विष्णु, जय महाकाल" की ललकार के साथ टक्कर लेने और काटने को तैयार थी।