"नागभट्ट द्वितीय": अवतरणों में अंतर

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{{Infobox royalty
|title=परमभट्टारक, महाराजाधिराज, परमेश्वर
|succession= चौथे [[राजपूतगुर्जर प्रतिहार राजवंश|राजपूत गुर्जर-प्रतिहार]] राजा
|<span class="searchmatch" style="font-weight: bold;">क्षत्रियगुर्जर</span> <span class="searchmatch" style="font-weight: bold;">प्रतिहार</span><nowiki> राजवंश]] राजा</nowiki>
|reign=<span style="white-space:nowrap;">805</span>&nbsp;&#x908;&#x966;<span>– </span><span style="white-space:nowrap;">833 ई०</span>
|predecessor =वत्सराज
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{{गुर्जर प्रतिहार राजवंश}}
'''नागभट्ट द्वितीय''' (805-833), अपने पिता [[वत्सराज]] से गद्दी प्राप्त कर [[गुर्जर प्रतिहार राजवंश|गुर्जर-प्रतिहार राजवंश]] के चौथे राजा बने।<ref>{{Cite book|last=Panchānana Rāya|author=Panchānana Rāya|year=1939|title=A historical review of Hindu India: 300 B. C. to 1200 A. D.|url=https://books.google.com/books?id=kHEBAAAAMAAJ&q=Gurjar+parihar&dq=Gurjar+parihar&cd=1|page=125|publisher=I. M. H. Press|access-date=10 जनवरी 2018|archive-url=https://web.archive.org/web/20170507233826/https://books.google.com/books?id=kHEBAAAAMAAJ&q=Gurjar+parihar&dq=Gurjar+parihar&cd=1|archive-date=7 मई 2017|url-status=live}}</ref> उनकी माता का नाम सुन्दरीदेवी था। नागभट्ट द्वितीय को परमभट्टारक, महाराजाधिराज और कन्नौज विजय के बाद 'परमेश्वर' की उपाधि दी गई थी।{{Sfn|Rama Shankar Tripathi|1964|p=233}}
नागभट्ट II (शासनकाल 805–833) ने अपने पिता वत्सराजा के बाद [[परिहार गोत्र|प्रतिहार वंश]] के सिंहासन पर चढ़ाई की। [1] उनकी माता रानी सुंदरी-देवी थीं। उन्हें कन्नौज की विजय के बाद शाही खिताब - परमभट्टारक, महाराजाधिराज और परमेस्वर के साथ नामित किया गया था।
 
बडोदा ताम्रपत्र ( 811 ई.) के अनुसार [[चौहान वंश|शाकम्भरी के चाहमानों]] ने प्रतिहारों की आधीनता स्वीकार कर ली और उस समय के चाहमान प्रमुख गुवक ने अपनी बहन कलावती का विवाह नागभट्ट से करा दिया।<ref>वही० जिल्द २, पृ० १२१-१२६</ref>{{verify source}}
<ref>{{Cite web|url=https://en.m.wikipedia.org/wiki/Nagabhata_II#/media/File:Nagabhata_II.jpg|title=Nagabhata II - Wikipedia|website=en.m.wikipedia.org|language=en|access-date=2020-10-23}}</ref>
 
 
निस्संदेह नागभट्ट द्वितीय प्रतिहार वंश का एक शक्तिशाली शासक था। चन्द्रप्रभासुरि कृत प्रभावकचरित के अन्तर्गत बप्पभट्टिचरित में नागभट्ट के ग्वालियर के भव्य दरबार का वर्णन मिलता हैं।<ref>प्रभावकचरित के अन्तर्गत बप्पभट्टि प्रबंध पृ० १७७</ref>{{verify source}} उसके दरबार के नवरत्नों मे से एक जैन आचार्य [[बप्पभट्टिसुरि]] के कहने से नागभट्ट ने ग्वालियर में जैन प्रतिमाएं स्थापित करवायी थी। पं० [[गौरीशंकर हीराचन्द्र ओझा]]<ref>राजपुताने का इतिहास, पृ० १६१</ref>{{verify source}} के अनुसार जिस नाहड़राव प्रतिहार ने [[पुष्कर झील|पुष्कर सरोवर]] (अजमेर) का निर्माण कराया था, वो असल में नागभट्ट द्वितीय ही था।{{verify source}}
 
निस्संदेह नागभट्ट द्वितीय प्रतिहारगुर्जर प्रतीहार वंश का एक शक्तिशाली शासक था। चन्द्रप्रभासुरि कृत प्रभावकचरित के अन्तर्गत बप्पभट्टिचरित में नागभट्ट के ग्वालियर के भव्य दरबार का वर्णन मिलता हैं।<ref>प्रभावकचरित के अन्तर्गत बप्पभट्टि प्रबंध पृ० १७७</ref>{{verify source}} उसके दरबार के नवरत्नों मे से एक जैन आचार्य [[बप्पभट्टिसुरि]] के कहने से नागभट्ट ने ग्वालियर में जैन प्रतिमाएं स्थापित करवायी थी। पं० [[गौरीशंकर हीराचन्द्र ओझा]]<ref>राजपुताने का इतिहास, पृ० १६१</ref>{{verify source}} के अनुसार जिस नाहड़राव प्रतिहार ने [[पुष्कर झील|पुष्कर सरोवर]] (अजमेर) का निर्माण कराया था, वो असल में नागभट्ट द्वितीय ही था।{{verify source}}
 
== राज ==