"गोंड (जनजाति)": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
→राजाओं का इतिहास: कोई ज्यादा सुधार नही किया गया टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
रोहित साव27 (वार्ता | योगदान) छो 2409:4043:69C:EF7:7C16:71E8:AA7F:3E4B (Talk) के संपादनों को हटाकर Rzuwig के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया टैग: वापस लिया |
||
पंक्ति 46:
== राजाओं का इतिहास ==
गोंडों का नाम प्राय: खोंडों के साथ लिया जाता है संभवत: उनके भौगोलिक सांन्निध्य के कारण है।
पंक्ति 56:
[[File:Gond Mahal S-MP-31 (9).jpg|thumb|इस्लाम नगर भोपाल स्थित गोंड महल]]
[[File:Gond Mahal S-MP-31 (15).jpg|thumb|गोंड महल का एक और दृश्य]]
[[File:Gond Mahal S-MP-31 (25).jpg|thumb|गोंड महल की वास्तुकला]]'''गुबरा के राजा का इतिहास'''
17 वी शताब्दी के समय गोंड राजा प्रतापसिंह जू देव गुबरा नरेश का उल्लेख मिलता है। यह बहुत ही बुद्धिमान व प्रतापी राजा थे। ग्राम गुबरा से 2 मील दूर प्रसिद्ध स्थान सिध्द बाबा मन्दिर जो राजा प्रतापसिंह जू ने बनवाया था यहाँ पर आज भी 15 जनबरी को बहुत बड़ा मेला लगता है। राजा प्रतापसिंह जू देव ने अपने जीवन में बकल में एक बहुत बड़ा अखिल भारतीय राजगोंड क्षत्रिय सभा का सम्मलेन सिहोरा बकल में करवाया था। जिस में 30 हजार राजगोंड भाई उपस्थित हुये यह बहुत बड़ा सम्मलेन मना जाता है उस समय राजा प्रतापसिंह जूदेव मध्यप्रदेश सभापति थे।
== स्थापना ==
|