"गोंड (जनजाति)": अवतरणों में अंतर

→‎राजाओं का इतिहास: कोई ज्यादा सुधार नही किया गया
टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छो 2409:4043:69C:EF7:7C16:71E8:AA7F:3E4B (Talk) के संपादनों को हटाकर Rzuwig के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
पंक्ति 46:
 
== राजाओं का इतिहास ==
गोंडराजगोंड का भारत की जातियों में महत्वपूर्ण स्थान है जिसका मुख्य कारण उनका इतिहास है। 15वीं से 17वीं शताब्दी के बीच [[गोंडवाना]] में अनेक राजगोंड राजवंशों का दृढ़ और सफल शासन स्थापित था। इन शासकों ने बहुत से दृढ़ दुर्ग, तालाब तथा स्मारक बनवाए और सफल शासकीय नीति तथा दक्षता का परिचय दिया। इनके शासन की परिधि मध्य भारत से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार तक पहुँचती थी। 15 वीं शताब्दी में चार महत्वपूर्ण गोंड़़ साम्राज्य थे। जिसमें खेरला, गढ मंडला, देवगढ और चाँदागढ प्रमुख थे। गोंड राजा बख्त बुलंद शाह ने नागपुर शहर की स्थापना कर अपनी राजधानी देवगढ से नागपुर स्थानांतरित किया था |गोंडवाना की प्रसिद्ध [[रानी दुर्गावती]] गोंडराजगोंड राजवंश की रानी थी।
 
गोंडों का नाम प्राय: खोंडों के साथ लिया जाता है संभवत: उनके भौगोलिक सांन्निध्य के कारण है।
पंक्ति 56:
[[File:Gond Mahal S-MP-31 (9).jpg|thumb|इस्लाम नगर भोपाल स्थित गोंड महल]]
[[File:Gond Mahal S-MP-31 (15).jpg|thumb|गोंड महल का एक और दृश्य]]
[[File:Gond Mahal S-MP-31 (25).jpg|thumb|गोंड महल की वास्तुकला]]'''गुबरा के राजा का इतिहास'''
 
17 वी शताब्दी के समय गोंड राजा प्रतापसिंह जू देव गुबरा नरेश का उल्लेख मिलता है। यह बहुत ही बुद्धिमान व प्रतापी राजा थे। ग्राम गुबरा से 2 मील दूर प्रसिद्ध स्थान सिध्द बाबा मन्दिर जो राजा प्रतापसिंह जू ने बनवाया था यहाँ पर आज भी 15 जनबरी को बहुत बड़ा मेला लगता है। राजा प्रतापसिंह जू देव ने अपने जीवन में बकल में एक बहुत बड़ा अखिल भारतीय राजगोंड क्षत्रिय सभा का सम्मलेन सिहोरा बकल में करवाया था। जिस में 30 हजार राजगोंड भाई उपस्थित हुये यह बहुत बड़ा सम्मलेन मना जाता है उस समय राजा प्रतापसिंह जूदेव मध्यप्रदेश सभापति थे।
 
== स्थापना ==