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[[File:Statue of Gurjar Samraat Mihir Bhoj Mahaan in Bharat Upvan ofAkshardham Mandir New Delhi.jpg|thumb|अक्षरधामराजपूत मंदिर में लगीसम्राट मिहिर भोज गुर्जर की मूर्तिप्रतिहार]]
'''मिहिर भोज''' अथवा '''मिहिर भोज गुर्जर [[गुर्जर प्रतिहार राजवंश|प्रतिहार]]''' अथवा '''भोज प्रथम''' क्षत्रिय [[प्रतिहार राजपूत|प्रतिहार वंश]] के राजा थे | इन्होंने ४९ वर्ष तक राज्य किया था। इनका साम्राज्य अत्यन्त विशाल था |
 
मिहिर भोज [[विष्णु]] भगवान के भक्त थे तथा कुछ सिक्कों मे इन्हे आदि वराह' भी माना गया गुर्जर सम्राट मिहिर भोज ।है।
 
मिहिर भोज ने 836 ईस्वीं से 885 ईस्वीं तक 49 साल तक राज किया। मिहिरभोज के साम्राज्य का विस्तार आज के [[मुल्तान|मुलतान]] से [[पश्चिम बंगाल]] तक और [[कश्मीर]] से [[कर्नाटक]] तक फैला हुआ था। ये धर्म रक्षक सम्राट शिव के परम भक्त थे। स्कंध पुराण के प्रभास खंड में राजपूत सम्राट मिहिरभोज के जीवन के बारे में विवरण मिलता है। ५० वर्ष तक राज्य करने के पश्चात वे अपने बेटे महेंद्रपाल को राज सिंहासन सौंपकर सन्यासवृति के लिए वन में चले गए थे। अरब यात्री सुलेमान ने भारत भ्रमण के दौरान लिखी पुस्तक सिलसिलीउत तवारीख 851 ईस्वीं में सम्राट मिहिरभोज को इस्लाम का सबसे बड़ा शत्रु बताया है, साथ ही मिहिरभोज की महान सेना की तारीफ भी की है, साथ ही मिहिर भोज के राज्य की सीमाएं दक्षिण में राजकूटों के राज्य, पूर्व में बंगाल के पाल शासक और पश्चिम में मुलतान के शासकों की सीमाओं को छूती हुई बतायी है। प्रतिहार यानी रक्षक या द्वारपाल से है।
 
<code>'''तथ्य''' : सम्राट मिहिर भोज एक [[प्रतिहार राजपूत]] थे, वह गुर्जर देश के राजा थे जिसकी वजह से कुछ लोग उनको गुर्जर मान बैठे हैं |</code>
 
915 ईस्वीं में भारत आए बगदाद के इतिहासकार अल- मसूदी ने अपनी किताब मरूजुल महान मेें भी मिहिर भोज की 36 लाख सेनिको की पराक्रमी सेना के बारे में लिखा है। इनकी राजशाही का निशान “वराह” था और मुस्लिम आक्रमणकारियों के मन में इतनी भय थी कि वे वराह यानि [[सूअर]] से नफरत करते थे। मिहिर भोज की सेना में सभी वर्ग एवं जातियों के लोगो ने राष्ट्र की रक्षा के लिए हथियार उठाये और इस्लामिक आक्रान्ताओं से लड़ाईयाँ लड़ी। मुस्लिम आक्रमणकारी इस गुर्जरराजपूत साम्राट के केवल नाम लेने मात्र से थर-थर कांपा करते थे |
 
मिहिर भोज के मित्र काबुल का ललिया शाही राजा कश्मीर का उत्पल वंशी राजा अवन्ति वर्मन तथा नैपाल का राजा राघवदेव और आसाम के राजा थे। सम्राट मिहिरभोज के उस समय शत्रु, पालवंशी राजा [[देवपाल]], दक्षिण का राष्ट्र कटू महाराज आमोधवर्ष और अरब के खलीफा [[मौतसिम वासिक]], मुत्वक्कल, मुन्तशिर, मौतमिदादी थे। अरब के खलीफा ने इमरान बिन मूसा को सिन्ध के उस इलाके पर शासक नियुक्त किया था। जिस पर अरबों का अधिकार रह गया था। सम्राट मिहिर भोज ने बंगाल के राजा देवपाल के पुत्र नारायणलाल को युद्ध में परास्त करके उत्तरी बंगाल को अपने क्षत्रिय साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया था। दक्षिण के राष्ट्र कूट राजा अमोधवर्ष को पराजित करके उनके क्षेत्र अपने साम्राज्य में मिला लिये थे। सिन्ध के अरब शासक इमरान बिन मूसा को पूरी तरह पराजित करके समस्त सिन्ध प्रतिहार साम्राज्य का अभिन्न अंग बना लिया था। केवल मंसूरा और मुलतान दो स्थान अरबों के पास सिन्ध में इसलिए रह गए थे कि अरबों ने राजपूत सम्राट के तूफानी भयंकर आक्रमणों से बचने के लिए अनमहफूज नामक गुफाए बनवाई हुई थी जिनमें छिप कर अरब अपनी जान बचाते थे।
 
सम्राट मिहिर भोज नही चाहते थे कि अरब इन दो स्थानों पर भी सुरक्षित रहें और आगे संकट का कारण बने, इसलिए उसने कई बड़े सैनिक अभियान भेज कर इमरान बिन मूसा के अनमहफूज नामक जगह को जीत कर अपने प्रतिहार साम्राज्य की पश्चिमी सीमाएं [[सिन्धु नदी|सिन्ध नदी]] से सैंकड़ों मील पश्चिम तक पहुंचा दी, और इसी प्रकार भारत को अगली शताब्दियों तक अरबों के बर्बर, धर्मान्ध तथा अत्याचारी आक्रमणों से सुरक्षित कर दिया था। इस तरह सम्राट मिहिरभोज के राज्य की सीमाएं [[काबुल]] से [[राँची]] व [[असम]] तक, [[हिमालय]] से [[नर्मदा नदी]] व [[आन्ध्र प्रदेश|आन्ध्र]] तक, [[काठियावाड़]] से [[बंगाल]] तक, सुदृढ़ तथा सुरक्षित थी।
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सन्दर्भ : -
(1) प्रतिहारों का मूल इतिहास लेखक - देवी सिंह मंडावा
1. Gurjar Samrat Mihir Bhoja by Bhai Surjit Singh (Author),
2. Al-Hind, the Making of the Indo-Islamic World: Early Medieval India and the Expansion of Islam 7Th-11th Centuries.
 
(2) विंध्य क्षेत्र के प्रतिहार वंश का इतिहास लेखक - डा अनुपम सिंह
#पिछले_कई_दिनों_से_राजपूत_समाज_के_नेता_महिपाल_सिंह_मकराना की “इतिहास चोर “ पोस्टर दिख रही है। इन जैसे लोगों को कई बार समझाया गया है।
 
✍️मैं विश्व विख्यात इतिहासकार श्री Andre Wink , Netherland ,New Guinea, phD,Leiden(1984) professor in University of Wisconsin,Madison ,Faculty of Roman History & World History की लिखित पुस्तक “AL Hind” एवं govt of India के
(3) परिहार वंश का प्रकाश लेखक - मुंशी देवी प्रसाद
गज़ेटियर Central India 1908 , व Farrukhabad vol 9 के केवल एक दो पेज पोस्ट कर रहा हूँ।
 
[[अंगूठाकार]]
(4) नागौद परिचय लेखक - जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी
 
(5) मण्डौर का इतिहास लेखक - श्री सिंह
 
==बाहरी कड़ियाँ==