"भाषाविज्ञान": अवतरणों में अंतर

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विषय-विभाजन की दृष्टि से भाषाविज्ञान को भाषा-संरचना ([[व्याकरण]]) एवं 'अर्थ का अध्ययन' (semantics) में बांटा जाता है। इसमें भाषा का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विश्लेषण और वर्णन करने के साथ ही विभिन्न भाषाओं के बीच तुलनात्मक अध्ययन भी किया जाता है। भाषाविज्ञान के दो पक्ष हैं- तात्त्विक और व्यवहारिक।
 
*'''तात्त्विक भाषाविज्ञान''' में भाषा का ध्वनिसम्भार ([[स्वरविज्ञान]] और [[ध्वनिविज्ञान (फ़ोनेटिक्स)]]), व्याकरण ([[वाक्यविन्यास]] व [[आकृति विज्ञान]]) एवं शब्दार्थ ([[अर्थविज्ञान]]) का अध्ययन किया जाता है।
 
*'''[[अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान|व्यवहारिक भाषाविज्ञान]]''' में [[अनुवाद]], भाषा शिक्षण, वाक-रोग निर्णय और [[वाक-चिकित्सा]], इत्यादि आते हैं।
 
इसके अतिरिक्त भाषाविज्ञान का ज्ञान-विज्ञान की अन्यान्य शाखाओं के साथ गहरा संबंध है। इससे [[समाजभाषाविज्ञान]], [[मनोभाषाविज्ञान]], [[गणनामूलक भाषाविज्ञान]] (computational lingustics), आदि इसकी विभिन्न शाखाओं का विकास हुआ है। भाषाविज्ञान के गौण क्षेत्र निम्नलिखित हैं-
 
*1. '''भाषा की उत्पत्ति''' : भाषा-विज्ञान का सबसे प्रथम, स्वाभाविक, महत्त्वपूर्ण किन्तु विचित्र प्रश्न भाषा की उत्पत्ति का है। इस पर विचार करके विद्वानों ने अनेक सिद्धान्तों का निर्माण किया है। यह एक अध्ययन का रोचक विषय है जो भाषा के जीवन के साथ जुड़ा हुआ है।