"ब्राह्मण": अवतरणों में अंतर

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'''ब्राह्मण''', [[हिन्दू वर्ण व्‍यवस्‍था]] का एक [[वर्ण]] है। यस्क[[यास्क]] मुनि की निरुक्त के अनुसार, ''ब्रह्म जानाति ब्राह्मण:ब्राह्मणः'' अर्थात् ब्राह्मण वह है जो [[ब्रह्म]] (अंतिम सत्य, ईश्वर या परम ज्ञान) को जानता है। अतः ब्राह्मण का अर्थ है "ईश्वर का ज्ञाता"। यद्यपि भारतीय जनसंख्या में ब्राह्मणों का प्रतिशत कम है, तथापि धर्म, संस्कॄति, कला तथा शिक्षा के क्षेत्र में इनका योगदान अपरिमित है।
 
यद्यपि भारतीय जनसंख्या में ब्राह्मणों का प्रतिशत कम है, तथापि धर्म, संस्कॄति, कला तथा शिक्षा के क्षेत्र में इनका योगदान अपरिमित है।
 
== इतिहास ==
ब्राह्मण समाज का इतिहास भारत के [[वैदिक]] धर्म से आरंभआरम्भ होता है। वास्तव में ब्राह्मण कोई जाति विशेष ना होकर एक वर्ण है, इस वर्ण में सभी जातियों के लोग ब्राह्मण होते थे, सर्वप्रथम [[निषाद]] जाति के लोग ब्राह्मण हुए दक्षिण भारत में द्रविड़ ब्राह्मण को ही कहा जाता है|थे। भारत का मुख्य आधार ही ब्राह्मणोब्राह्मणों से शुरू होता है। ब्राह्मण नरम व्यवहार के होते है | ब्राह्मण व्यवहार का मुख्य स्रोत वेद हैं। ब्राह्मण समय के अनुसार अपने आप को बदलने में सक्षम होते है। ब्राह्मणो का भारत की आज़ादी में भी बहुत योगदान रहा है जो इतिहास में गढा गया है। ब्राह्मणो के सभी सम्प्रदाय वेदों से प्रेरणा लेते हैं। पारंपरिक तौर पर यह विश्वास है कि वेद ''अपौरुषेय'' (किसी मानव/देवता ने नहीं लिखे) तथा ''अनादि'' हैं, बल्कि अनादि सत्य का प्राकट्य है जिनकी वैधता शाश्वत है। वेदों को श्रुति माना जाता है (''श्रवण हेतु'', जो मौखिक परंपरा का द्योतक है)।
 
धार्मिक व सांस्कॄतिक रीतियों एवं व्यवहार में विवधताओं के कारण और विभिन्न [[वैदिक]] [[गुरुकुल|विद्यालयों]] के उनके संबन्ध के चलते, [[आचार्य]] ही ब्राह्मण हैं |हैं। [[सूत्र काल]] में प्रतिष्ठित विद्वानों के नेतॄत्व में, एक ही [[वेद]] की विभिन्न नामों की पृथक-पृथक शाखाएं बनने लगीं। इन प्रतिष्ठित ऋषियों की शिक्षाओं को [[सूत्र]] कहा जाता है। प्रत्येक [[वेद]] का अपना सूत्र है। सामाजिक, नैतिक तथा शास्त्रानुकूल नियमों वाले सूत्रों को [[धर्म सूत्र]] कहते हैं, आनुष्ठानिक वालों को [[श्रौत सूत्र]] तथा घरेलू विधिशास्त्रों की व्याख्या करने वालों को [[गॄह् सूत्र|गृह्यसूत्र]] कहा जाता है। सूत्र सामान्यतः पद्य या मिश्रित गद्य-पद्य में लिखे हुए हैं।
 
ब्राह्मण शास्त्रज्ञों में प्रमुख हैं [[अग्निरस|आंगिरस]], [[अपस्तम्भ|आपस्तम्भ]], [[अत्रि]], [[बॄहस्पति]], [[बौधायन]], [[दक्ष]], [[गौतम]], [[वत्स]], [[हरित|हारीत]], [[कात्यायन]], [[लिखित]], [[पाराशर]], [[समवर्त|संवर्त]], [[शंख]], [[शत्तप|शातातप]], [[ऊषानस]], [[वशिष्ठ]], [[विष्णु]], [[व्यास]], [[यज्ञवल्क्य|याज्ञवल्क्य]] तथा [[यम]]। ये इक्कीस ऋषि स्मृतियों के रचयिता थे। स्मृतियों में सबसे प्राचीन हैं आपस्तम्भ, बौधायन, गौतम तथा वशिष्ठ।
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== ब्राह्मण का व्यवहार ==
[[चित्र:The Reciting Brahman.jpg|thumb|ब्राह्मण]]
ब्राह्मण मांस शराब का सेवन जो धर्म के विरुद्ध हो वो काम नहीं करते हैं। ब्राह्मण सनातन धर्म के नियमों का पालन करते हैं। जैसे वेदों का आज्ञापालन, यह विश्वास कि मोक्ष तथा अन्तिम सत्य की प्राप्ति के अनेक माध्यम हैं, यह कि ईश्वर एक है किन्तु उनके गुणगान तथा पूजन हेतु अनगिनत नाम तथा स्वरूप हैं जिनका कारण है हमारे अनुभव, संस्कॄति तथा भाषाओं में विविधताएं। ब्राह्मण ''सर्वेजनासुखिनो भवन्तु'' (सभी जन सुखी तथा समॄद्ध हों) एवं ''वसुधैव कुटुम्बकम'' (सारी वसुधा एक परिवार है) में विश्वास रखते हैं। सामान्यत: ब्राह्मण केवल शाकाहारी होते हैं ([[बंगाली, उड़ीयाउड़िया, [[कश्मीरी पंडित]] तथा कुछ अन्य ब्राह्मण]] तथा [[कश्मीरी पन्डित]]) इसके अपवाद हैं)।हैं।
 
=== दिनचर्या ===
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ब्राह्मणों को सम्पूर्ण भारतवर्ष में विभिन्न उपनामों से जाना जाता है, जैसे पूर्वी उत्तर प्रदेश में दीक्षित, शुक्ल, द्विवेदी त्रिवेदी, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल में उप्रेती, दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान के कुछ भागों में [[खाण्डल विप्र|खाण्डल]] विप्र, ऋषीश्वर, वशिष्ठ, कौशिक, भारद्वाज, [[सनाढ्य ब्राह्मण]], अवध (मध्य उत्तर प्रदेश) तथा मध्यप्रदेश के बुन्देलखंड से निकले [[जिझौतिया ब्राह्मण]],रम पाल, राजस्थान, मध्यप्रदेश व [[बाजपेयी]], जम्मू कश्मीर, पंजाब व हरियाणा के कुछ भागों में [[महियाल]], मध्य प्रदेश व राजस्थान में [[गालव]], गुजरात में श्रीखण्ड,भातखण्डे [[अनाविल]], महाराष्ट्र के महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण, मुख्य रूप से देशस्थ, कोंकणस्थ , दैवदन्या, देवरुखे और करहाड़े है. ब्राह्मणमें [[चितपावन]] एवं [[कार्वे]], कर्नाटक में निषाद [[अयंगर]] एवं [[हेगडे]], केरल में [[नम्बूदरीपाद]], तमिलनाडु में [[अयंगर]] एवं [[अय्यर]], आंध्र प्रदेश में [[नियोगी]] एवं [[राव]], उड़ीसा में [[दास]] एवं [[मिश्र]] आदि तथा राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, बिहार में [[शाकद्वीपीय ब्राह्मण|शाकद्वीपीय]] (मग)कहीं उत्तर प्रदेश में जोशी जाति भी पायी जाती है। <ref>{{Cite web |url=http://www.unp.me/f15/brahmin-br-hma-a-64527/ |title=संग्रहीत प्रति |access-date=24 जनवरी 2016 |archive-url=https://web.archive.org/web/20160131111753/http://www.unp.me/f15/brahmin-br-hma-a-64527/ |archive-date=31 जनवरी 2016 |url-status=dead }}</ref> आदि।
[[File:Brahmins chart.png|thumb|ब्राह्मणों के जाति वर्गीकरण के आधार पर ब्राह्मण जाति चार्ट]]
ब्राह्मणों में कई जातियां है।इससेहै। इससे मूल कार्य व स्थान का पता चलता है
* सामवेदी: ये सामवेद गायन करने वाले लोग थे।
* अग्निहोत्री: अग्नि में आहुति देने वाला।वाला,
* त्रिवेदी: वे लोग जिन्हें तीन वेदों का था ज्ञान वे त्रिवेदी हैथा,
* चतुर्वेदी: जिन्हें चारों वेदों का ज्ञान था।वेलोग चतुर्वेदी हुए।था,
* वेदी: जिन्हें वेदी बनाने का ज्ञान था वे वेदी हुए।,
* द्विवेदी:जिन्हें दो वेदों का ही ज्ञान था वे लोग द्विवेदी कहलाएंथा।
 
== ब्राह्मणों की वर्तमान स्थिति ==