"गरुड़": अवतरणों में अंतर
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एक दिन कद्रू और विनता की दृष्टि [[समुद्र मन्थन]] से निकले हुये [[उच्चैःश्रवा]] घोड़े पर पड़ी। कद्रू ने कहा कि उस घोड़े की पूँछ काली है जबकि विनता ने उसे सफेद रंग का बताया। इस पर दोनों में शर्त हुई कि जिसका कथन गलत होगा उसे दूसरे की दासी बनना होगा। दोनों शर्त मानकर पूँछ देखने चलीं। कद्रू ने चुपचाप अपने पुत्रों को उस पूँछ से लिपट जाने की आज्ञा दी इससे पूँछ काली दिखाई पड़ने लगी। विनता हार मानकर कद्रू की दासी बन गयी।
Garud kahan rahata hai
== विनता को दासता से मुक्ति ==
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