"यमुना नदी": अवतरणों में अंतर

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== उद्गम ==
यह [[यमुनोत्री]] नामक जगह से निकलती है। यह [[गंगा नदी]] की सबसे बड़ी सहायक नदी है। यमुना का उद्गम स्थान [[हिमालय]] के हिमाच्छादित श्रंग बंदरपुच्छ ऊँचाई 6200 मीटर से 7 से 8 मील उत्तर-पश्चिम में स्थित कालिंद पर्वत है, जिसके नाम पर यमुना को कालिंदजा अथवा [[कालिंदी नदी|कालिंदी]] कहा जाता है। अपने उद्गम से आगे कई मील तक विशाल हिमगारों और हिम मंडित कंदराओं में अप्रकट रूप से बहती हुई तथा पहाड़ी ढलानों पर से अत्यन्त तीव्रतापूर्वक उतरती हुई इसकी धारा यमुनोत्तरी पर्वत (२०20,७३१731 फीट ऊँचाई) से प्रकट होती है। वहाँ इसके दर्शनार्थ हजारों श्रद्धालु यात्री प्रतिवर्ष भारत वर्ष के कोने-कोने से पहुँचते हैं।
 
यमुनोत्तरी पर्वत से निकलकर यह नदी अनेक पहाड़ी दरों और घाटियों में प्रवाहित होती हुई तथा वदियर, कमलाद, वदरी अस्लौर जैसी छोटी और तोंस जैसी बड़ी पहाड़ी नदियों को अपने अंचल में समेटती हुई आगे बढ़ती है। उसके बाद यह हिमालय को छोड़ कर [[दून की घाटी]] में प्रवेश करती है। वहाँ से कई मील तक दक्षिण-पश्चिम की और बहती हुई तथा गिरि, सिरमौर और आशा नामक छोटी नदियों को अपनी गोद में लेती हुई यह अपने उद्गम से लगभग ९५ मील दूर वर्तमान [[सहारनपुर जिला]] के [[फ़ैज़ाबादफैज़ाबाद|फैजाबाद]] ग्राम के समीप मैदान में आती है। उस समय इसके तट तक की ऊँचाई समुद्र सतह से लगभग १२७६1276 फीट रह जाती है।
 
===पौराणिक स्रोत ===
भुवनभास्कर सूर्य इसके पिता, मृत्यु के देवता [[यम]] इसके भाई और भगवान [[कृष्ण|श्री कृष्ण]] इसके पति स्वीकार्य किये गये हैं। जहाँ भगवान [[कृष्ण|श्री कृष्ण]] ब्रज संस्कृति के जनक कहे जाते हैं, वहाँ यमुना इसकी जननी मानी जाती है। इस प्रकार यह सच्चे अर्थों में ब्रजवासियों की माता है। अतः ब्रज में इसे ''यमुना मैया'' कहते हैं। [[ब्रह्म पुराण]] में यमुना के आध्यात्मिक स्वरुप का स्पष्टीकरण करते हुए विवरण प्रस्तुत किया है - "जो सृष्टि का आधार है और जिसे लक्ष्णों से सच्चिदनंद स्वरुप कहा जाता है, [[उपनिषद्|उपनिषदों]] ने जिसका ब्रह्म रूप से गायन किया है, वही परमतत्व साक्षात् यमुना है। [[गौड़ वैष्णव|गौड़िय]] विद्वान [[श्री रूप गोस्वामी]] ने यमुना को साक्षात् चिदानंदमयी बतलाया है। [[गर्ग संहिता]] में यमुना के पचांग - 1. पटल, 2. पद्धति, 3. कवय, 4. स्तोत्र, और ५5. सहस्त्र नाम का उल्लेख है।
 
== प्रवाह क्षेत्र ==