"शीतयुद्ध": अवतरणों में अंतर
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जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है कि यह अस्त्र-शस्त्रों का युद्ध न होकर धमकियों तक ही सीमित युद्ध है। इस युद्ध में कोई वास्तविक युद्ध नहीं लड़ा गया। यह केवल परोक्ष युद्ध तक ही सीमित रहा। इस युद्ध में दोनों महाशक्तियों ने अपने वैचारिक मतभेद ही प्रमुख रखे। यह एक प्रकार का कूटनीतिक युद्ध था जो महाशक्तियों के संकीर्ण स्वार्थ सिद्धियों के प्रयासों पर ही आधारित रहा।<ref>{{Cite news|url=https://www.bbc.com/hindi/international-43551064|title=रूस का झगड़ा: क्या शीत युद्ध का प्रेत लौट आया है?|last=इवांस|first=गैरेथ|date=2018-03-27|work=BBC News हिंदी|access-date=2020-06-13|language=hi|archive-url=https://web.archive.org/web/20180710063248/https://www.bbc.com/hindi/international-43551064|archive-date=10 जुलाई 2018|url-status=live}}</ref>
:''शीत युद्ध एक प्रकार का
के.पी.एस. मैनन के अनुसार - ''शीत युद्ध दो विरोधी विचारधाराओं - पूंजीवाद और साम्राज्यवाद (Capitalism and Communism), दो व्यवस्थाओं - बुर्जुआ लोकतन्त्र तथा सर्वहारा तानाशाही (Bourgeoise Democracy and Proletarian Dictatorship), दो गुटों - नाटो और वार्सा समझौता, दो राज्यों - अमेरिका और सोवियत संघ तथा दो नेताओं - जॉन फॉस्टर इल्लास तथा स्टालिन के बीच युद्ध था जिसका प्रभाव पूरे विश्व पर पड़ा।''
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