"तारा (रामायण)": अवतरणों में अंतर

→‎लक्ष्मण को शांत करना: वाल्मीकि रामायण के अनुसार
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→‎तारा एक नारी: वाल्मीकि रामायण
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== तारा एक नारी ==
रामायण के कई रूपांतरणों में यह उल्लेख आया है कि जब [[मायावी राक्षस]] से युद्ध करते समय वालिबाली को काफ़ी समय बीत गया और सुग्रीव ने कन्दरा के मुहाने में एक शिला लगाकर उसका द्वार बन्द कर दिया और किष्किन्धा वापस आकर इस बात की सूचना मंत्रियों को दी कि शायदसंभवतः वालिबाली मायावी के हाथों मारा गया है, तो मंत्रणा करके मंत्रियों ने सुग्रीव को किष्किन्धा का राजा चुना और प्रकट रूप से विधवा हुई तारा अपने पति के छोटे भाई की पत्नी स्वीकृत हुई। इस प्रथा को न तो वाल्मीकि रामायण में और न ही उसके क्षेत्रीय रूपांतरणों में पाप का दर्जा दिया गया है। लेकिन जब वालि मायावी का वध करके वापस किष्किन्धा आता है और क्रोध के कारण सुग्रीव को देश-निकाला देता है और उसकी पत्नी रूमा को हड़प लेता है तो [[किष्किन्धाकाण्ड]] में सुग्रीव-राम मिलाप के दौरान राम इसे घोर पाप की संज्ञा देते हैं।<ref>{{cite web| url = http://www.valmikiramayan.net/kishkindha/sarga5/kishkindha_5_prose.htm| title = सुग्रीव-राम मिलाप| accessdate = 2 मई 2012| archive-url = https://web.archive.org/web/20120321161624/http://www.valmikiramayan.net/kishkindha/sarga5/kishkindha_5_prose.htm| archive-date = 21 मार्च 2012| url-status = dead}}</ref> वालिवाल्मीकि के वध के बाद भी तारा पुनः सुग्रीव की पत्नी बन गई। शायद उस काल के समाज में बहु-पत्नी तथा बहु-पति ([[द्रौपदी]]) प्रथा का चलन स्वीकार्य रहा हो।रामायण
 
== सन्दर्भ ==