"इन्दिरा गांधी": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Nehru family.jpg|thumb|left|300px|'''नेहरू परिवार''' [[मोतीलाल नेहरू]] बीच में बैठे हैं और खड़े हैं (बायें से दाएँ) [[जवाहरलाल नेहरू]],[[विजयालक्ष्मी पंडित]], [[कृष्णा हठीसिंह|कृष्णा हथिसिंघ]], इंदिरा और रंजित पंडित, बैठे हैं : स्वरुप रानी, मोतीलाल नेहरू और [[कमला नेहरू]] (लगभग सन् 1927)]]
[[चित्र:The marriage ceremony of Feroze Gandhi and Indira Gandhi, March 26, 1942 at Anand Bhawan, Allahabad.jpg|right|300px|thumb|१९४२ में '''इन्दिरा''' और '''फिरोज''' का विवाह ; यह विवाह न तो परम्परागत था न ही कानूनी विवाह था।]]
इन्दिरा का जन्म 19 नवम्बर 1917 को राजनीतिक रूप से प्रभावशाली [[नेहरू–गांधी परिवार|नेहरू परिवार]] में हुआ था।<ref>{{cite web|url=https://blogs.timesofindia.indiatimes.com/bloody-mary/19th-november-2017-100-years-of-indira-gandhi-she-was-the-mother-of-every-indian-supremo/|title=19th November 2017: 100 years of Indira Gandhi. She was the mother of every Indian supremo}}</ref> इनके पिता [[जवाहरलाल नेहरू]] और इनकी माता [[कमला नेहरू]] थीं। इन्दिरा को उनका "गांधी" उपनाम [[फिरोज़ गांधी|फिरोज़ गाँधी]] से [[विवाह]] के पश्चात मिला था।<ref>[http://hindi.webdunia.com/national-hindi-news/indira-gandhi-former-india-pm-firoge-gandhi-115062500010_1.html इंदिरा इस तरह बनीं गांधी, पढ़ें पूरी कहानी...] (वेबदुनिया)</ref> इनका [[महात्मा गांधी|मोहनदास करमचंद गाँधी]] से न तो खून का और न ही शादी के द्वारा कोई रिश्ता था। इनके पितामह [[मोतीलाल नेहरू]] एक प्रमुख भारतीय राष्ट्रवादी नेता थे। इनके पिता [[जवाहरलाल नेहरू]] भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के एक प्रमुख व्यक्तित्व थे और आज़ाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री रहे।
 
1934–35 में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के पश्चात, इन्दिरा ने [[शान्तिनिकेतन]] में [[रबीन्द्रनाथ ठाकुर|रवीन्द्रनाथ टैगोर]] द्वारा निर्मित [[विश्व-भारती विश्वविद्यालय]] में प्रवेश लिया। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ही इन्हे "प्रियदर्शिनी" नाम दिया था। इसके पश्चात यह इंग्लैंड चली गईं और [[ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय|ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय]] की प्रवेश परीक्षा में बैठीं, परन्तु यह उसमे विफल रहीं और [[ब्रिस्टल]] के [[बैडमिंटन स्कूल]] में कुछ महीने बिताने के पश्चात, 1937 में परीक्षा में सफल होने के बाद इन्होने [[सोमरविल कॉलेज, ऑक्सफोर्ड]] में दाखिला लिया। इस समय के दौरान इनकी अक्सर फिरोज़ गाँधी से मुलाकात होती थी, जिन्हे यह [[इलाहाबाद]] से जानती थीं और जो [[लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स]] में अध्ययन कर रहे थे। अंततः 16 मार्च 1942 को आनंद भवन, इलाहाबाद में एक निजी आदि धर्म [[ब्रह्म]]-[[वेद|वैदिक]] समारोह में इनका विवाह फिरोज़ से हुआ।<ref>{{Cite web|url=https://www.bhaskar.com/biography/leaders/news/indira-gandhi-biography-life-and-political-carrier-01213437.html|title=फ़िरोज गांधी से किया था प्रेम विवाह, राजनीति के कारण बढ़ गई थीं दूरियां|date=2018-11-01|website=Dainik Bhaskar|language=hi|access-date=2020-10-31}}</ref>
इन्दिरा को उनका "गांधी" उपनाम [[फिरोज़ गांधी|फिरोज़ गाँधी]] से [[विवाह]] के पश्चात मिला था।<ref>[http://hindi.webdunia.com/national-hindi-news/indira-gandhi-former-india-pm-firoge-gandhi-115062500010_1.html इंदिरा इस तरह बनीं गांधी, पढ़ें पूरी कहानी...] (वेबदुनिया)</ref> इनका [[महात्मा गांधी|मोहनदास करमचंद गाँधी]] से न तो खून का और न ही शादी के द्वारा कोई रिश्ता था। इनके पितामह [[मोतीलाल नेहरू]] एक प्रमुख भारतीय राष्ट्रवादी नेता थे। इनके पिता [[जवाहरलाल नेहरू]] भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के एक प्रमुख व्यक्तित्व थे और आज़ाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री रहे।
 
[[ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय|ऑक्सफोर्ड]] से वर्ष 1941 में भारत वापस आने के बाद वे [[भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन]] में शामिल हो गयीं। 1950 के दशक में वे अपने पिता के भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान गैरसरकारी तौर पर एक निजी सहायक के रूप में उनके सेवा में रहीं। अपने पिता की मृत्यु के बाद सन् 1964 में उनकी नियुक्ति एक [[राज्य सभा|राज्यसभा]] सदस्य के रूप में हुई। इसके बाद वे [[लालबहादुर शास्त्री]] के मंत्रिमंडल में सूचना और प्रसारण मत्री बनीं।<ref>गाँधी, इंदिरा .1982 ''माई ट्रूथ / मेरी सच्चाई ''</ref>
1934–35 में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के पश्चात, इन्दिरा ने [[शान्तिनिकेतन]] में [[रबीन्द्रनाथ ठाकुर|रवीन्द्रनाथ टैगोर]] द्वारा निर्मित [[विश्व-भारती विश्वविद्यालय]] में प्रवेश लिया। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ही इन्हे "प्रियदर्शिनी" नाम दिया था। इसके पश्चात यह इंग्लैंड चली गईं और [[ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय|ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय]] की प्रवेश परीक्षा में बैठीं, परन्तु यह उसमे विफल रहीं और [[ब्रिस्टल]] के [[बैडमिंटन स्कूल]] में कुछ महीने बिताने के पश्चात, 1937 में परीक्षा में सफल होने के बाद इन्होने [[सोमरविल कॉलेज, ऑक्सफोर्ड]] में दाखिला लिया। इस समय के दौरान इनकी अक्सर फिरोज़ गाँधी से मुलाकात होती थी, जिन्हे यह [[इलाहाबाद]] से जानती थीं और जो [[लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स]] में अध्ययन कर रहे थे। अंततः 16 मार्च 1942 को आनंद भवन, इलाहाबाद में एक निजी आदि धर्म [[ब्रह्म]]-[[वेद|वैदिक]] समारोह में इनका विवाह फिरोज़ से हुआ।
 
[[लालबहादुर शास्त्री]] के आकस्मिक निधन के बाद तत्कालीन [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|काँग्रेस पार्टी]] अध्यक्ष [[के. कामराज]] इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाने में निर्णायक रहे। गाँधी ने शीघ्र ही चुनाव जीतने के साथ-साथ [[जनप्रियता]] के माध्यम से विरोधियों के ऊपर हावी होने की योग्यता दर्शायी। वह अधिक बामवर्गी आर्थिक नीतियाँ लायीं और कृषि उत्पादकता को बढ़ावा दिया। [[१९७१ का भारत-पाक युद्ध|1971 के भारत-पाक युद्ध]] में एक निर्णायक जीत के बाद की अवधि में अस्थिरता की स्थिती में उन्होंने सन् 1975 में [[आपातकाल (भारत)|आपातकाल]] लागू किया। उन्होंने एवं काँग्रेस पार्टी ने 1977 के आम चुनाव में पहली बार हार का सामना किया। सन् 1980 में सत्ता में लौटने के बाद वह अधिकतर [[पंजाब (भारत)|पंजाब]] के [[अलगाववाद|अलगाववादियों]] के साथ बढ़ते हुए द्वंद्व में उलझी रहीं जिसमे आगे चलकर सन् 1984 में अपने ही अंगरक्षकों द्वारा उनकी राजनैतिक हत्या हुई।
[[ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय|ऑक्सफोर्ड]] से वर्ष 1941 में भारत वापस आने के बाद वे [[भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन]] में शामिल हो गयीं।
 
1950 के दशक में वे अपने पिता के भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान गैरसरकारी तौर पर एक निजी सहायक के रूप में उनके सेवा में रहीं। अपने पिता की मृत्यु के बाद सन् 1964 में उनकी नियुक्ति एक [[राज्य सभा|राज्यसभा]] सदस्य के रूप में हुई। इसके बाद वे [[लालबहादुर शास्त्री]] के मंत्रिमंडल में सूचना और प्रसारण मत्री बनीं।<ref>गाँधी, इंदिरा .1982 ''माई ट्रूथ / मेरी सच्चाई ''</ref>
 
[[लालबहादुर शास्त्री]] के आकस्मिक निधन के बाद तत्कालीन [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|काँग्रेस पार्टी]] अध्यक्ष [[के. कामराज]] इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाने में निर्णायक रहे। गाँधी ने शीघ्र ही चुनाव जीतने के साथ-साथ [[जनप्रियता]] के माध्यम से विरोधियों के ऊपर हावी होने की योग्यता दर्शायी। वह अधिक बामवर्गी आर्थिक नीतियाँ लायीं और कृषि उत्पादकता को बढ़ावा दिया। [[१९७१ का भारत-पाक युद्ध|1971 के भारत-पाक युद्ध]] में एक निर्णायक जीत के बाद की अवधि में अस्थिरता की स्थिती में उन्होंने सन् 1975 में [[आपातकाल (भारत)|आपातकाल]] लागू किया। उन्होंने एवं काँग्रेस पार्टी ने 1977 के आम चुनाव में पहली बार हार का सामना किया। सन् 1980 में सत्ता में लौटने के बाद वह अधिकतर [[पंजाब (भारत)|पंजाब]] के [[अलगाववाद|अलगाववादियों]] के साथ बढ़ते हुए द्वंद्व में उलझी रहीं जिसमे आगे चलकर सन् 1984 में अपने ही अंगरक्षकों द्वारा उनकी राजनैतिक हत्या हुई।
 
== प्रारम्भिक जीवन ==