"पॉलीमर": अवतरणों में अंतर

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[[Image:Single Polymer Chains AFM.jpg|right|thumb|175px|रिअल लीनिअर पॉलीमर कड़ियां, जो परमाणिव्क बल सूक्ष्मदर्शी द्वारा तरल माध्यम के अधीन देखी गयी हैं। इस बहुलक की चेन लंबाई ~२०४&nbsp;नैनो.मीटर; मोटाई is ~०.४&nbsp;नै.मी.<ref>Yवाई.रोइटर Roiterएवं and Sएस. Minkoमिंको, [http://dx.doi.org/10.1021/ja0558239 AFMईफ़एम Singleसिंगल Moleculeमॉलिक्यूल Experimentsएक्स्पेरिमेंट्स atऐट the Solidसॉलिड-Liquidलिक्विड Interface: In Situ Conformation of Adsorbed Flexible Polyelectrolyte Chainsइंटरफ़ेस], Journalअमरीकन ofकैमिकल theसोसायटी Americanका Chemical Societyजर्नल, vol.खण्ड 127१२७, issss. 45, pp. 15688-15689 (2005)</ref>]]
'''पालीमर''' बहुत अधिक [[अणु]] मात्रा वाला [[कार्बनिक यौगिक]] होता है। यह सरल [[अणु|अणुओं]] जिन्हें [[मोनोमर]] कहा जाता; के बहुत अधिक इकाइयों के [[पॉलीमेराइजेशन]] के फलस्वरूप बनता है।<ref name="अश्म">[http://nanovigyan.wordpress.com/category/%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AE-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B0%E0%A4%9A%E0%A4%A8%E0%A4%BE/ प्रकाश अश्मलेखन]।नैनोविज्ञान।वर्ल्डप्रेस पर</ref> पॉलीमर में बहुत सारी एक ही तरह की आवर्ती संरचनात्मक इकाइयाँ यानि मोनोमर [[संयोजी बन्ध]] (कोवैलेन्ट बॉण्ड) से जुड़ी होती हैं। [[सेल्यूलोज]], लकड़ी, [[रेशम]], त्वचा, रबर आदि प्राकृतिक पॉलीमर हैं, ये खुली अवस्था में प्रकृति में पाए जाते हैं तथा इन्हें पौधों और जीवधारियों से प्राप्त किया जाता है। इसके रासायनिक नामों वाले अन्य उदाहरणों में [[पालीइथिलीन]], [[टेफ्लान]], [[पाली विनाइल क्लोराइड]] प्रमुख पालीमर हैं। कृत्रिम या सिंथेटिक पॉलीमर मानव निर्मित होते हैं। इन्हें कारखानों में उत्पादित किया जा सकता है। प्लास्टिक, पाइपों, बोतलों, बाल्टियों आदि के निर्माण में प्रयुक्त होने वाली पोलीथिन सिंथेटिक पॉलीमर है। बिजली के तारों, केबिलों के ऊपर चढ़ाई जाने वाली प्लास्टिक कवर भी सिंथेटिक पॉलीमर है। फाइबर, सीटकवर, मजबूत पाइप एवं बोतलों के निर्माण में प्रयुक्त होने वाली प्रोपाइलीन भी सिंथेटिक पॉलीमर है। वाल्व सील, फिल्टर क्लॉथ, गैस किट आदि टेफलॉन से बनाए जाते हैं। सिंथेटिक रबर भी पॉलीमर है जिससे मोटरगाड़ियों के टायर बनाए जाते हैं। [[हॉलैंड]] के वैज्ञानिकों के अनुसार [[मकड़ी]] में उपस्थित एक डोप नामक तरल पदार्थ उसके शरीर से बाहर निकलते ही एकप प्रोटीनयुक्त पॉलीमर के रूप में जाला बनाता है। <ref>[http://www.amarujala.com/vichitra07/detail.asp?id=176&page=1 डोप एक पॉलीमर के रूप में कार्य करता है।]।[[अमर उजाला]]।</ref>
 
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पॉलीमर शब्द का प्रथम प्रयोग [[जोंस बर्जिलियस]] ने [[१८३३]] में किया था। [[१९०७]] में [[लियो बैकलैंड]] ने पहला सिंथेटिक पोलीमर, फीनोल और फॉर्मएल्डिहाइड की प्रक्रिया से बनाया। उन्होंने इसे [[बैकेलाइट]] नाम दिया। [[१९२२]] में [[हर्मन स्टॉडिंगर]] को पॉलीमर के नए सिद्धांत को प्रतिपादित करने के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इससे पहले यह माना जाता था कि ये छोटे अणुओं का क्लस्टर है, जिन्हें कोलाइडस कहते थे, जिसका आण्विक भार ज्ञात नहीं था। लेकिन इस सिद्धांत में कहा गया कि पोलीमर एक श्रृंखला में कोवेलेंट बंध द्वारा बंधे होते हैं। पॉलीमर शब्द पॉली (कई) और मेरोस (टुकड़ों) से मिलकर बना है।
 
एक ही प्रकार की मोनोमर इकाइयों से बनने वाले बहुलक को [[होमोपॉलीमर]] कहते हैं। जैसे पॉलीस्टायरीन का एकमात्र मोनोमर स्टायरीन ही है। भिन्न प्रकार की मोनोमर इकाइयों से बनने वाले बहुलक को '''कोपॉलीमर''' कहते हैं। जैसे इथाइल-विनाइल-एसीटेट भिन्न प्रकार के मोनोमरों से बनता है। भौतिक व रासायनिक गुणों के आधार पर इन्हें दो वर्गों में बांटा जा सकता है:[<ref>[http://nanovigyan.wordpress.com/2007/12/31/photo-litho/ नैनोविज्ञान-प्रकाश अश्मलेखन]। वर्ल्डप्रेस पर]</ref>
*'''रैखिक श्रृंखला पॉलीमर''' (''linear chain polymer''): ये वे बहुलक होते हैं, जिन्हें सामान्यतया आसानी से विक्षेपित किया जा सकता है और ताप बढ़ाकर पिघलाया जा सकता है। सामान्यतया ये पॉलीमर उपयुक्त विलायक में घुल जाते हैं।
* दूसरे प्रकार के पॉलीमर में रैखिक श्रृंखलायें भी आपस में रासायनिक बन्धों से जुड़ी होतीं हैं, अतः इन्हें पिघलाना तथा विक्षेपित करना काफ़ी कठिन होता है। साथ ही ये अधिकतर द्रवों में अविलेय होते है।