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[[चित्र:Solar sys8.jpg|right|300px|thumb|गुरुत्वाकर्षण के कारण ही ग्रह, सूर्य के चारों ओर चक्कर लगा पाते हैं और यही उन्हें रोके रखती है।]]
 
जाट देवता'''गुरुत्वाकर्षण''' (gravitation ) एक [[पदार्थ|पदार्थो]] द्वारा एक दूसरे की ओर आकर्षित होने की प्रवृति है। गुरुत्वाकर्षण के बारे में पहली बार कोई गणितीय सूत्र देने की कोशिश [[आइज़क न्यूटन|आइजक न्यूटन]] द्वारा की गयी जो आश्चर्यजनक रूप से सही था। उन्होंने [[न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त|गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत]] का प्रतिपादन किया। न्यूटन के सिद्धान्त को बाद में [[अल्बर्ट आइंस्टीन|अलबर्ट आइंस्टाइन]] द्वारा [[आपेक्षिकता सिद्धांत|सापेक्षता सिद्धांत]] से बदला गया। इससे पूर्व [[वराह मिहिर]] ने कहा था कि किसी प्रकार की [[शक्ति गुणांक|शक्ति]] ही वस्तुओं को पृथ्वी पर चिपकाए रखती है।
 
== गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत का इतिहास==
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=== न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम ===
[[चित्र:Gravity action-reaction.gif|right|200px|thumb|यदि पृथ्वी के द्रव्यमान के तुल्य द्रव्यमान वाली कोई वस्तु इसकी तरफ गिरे तो उस स्थिति में पृथ्वी का [[त्वरण]] भी नगण्य नहीं बल्कि मापने योग्य होगा।]]
इसके बाद [[आइज़क न्यूटन]] ने अपनी मौलिक खोजों के आधार पर बताया कि केवल पृथ्वी ही नहीं, अपितु विश्व का प्रत्येक कण प्रत्येक दूसरे कण को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है। दो कणों के बीच कार्य करनेवाला आकर्षण बल उन कणों की संहतियों के गुणनफल का (प्रत्यक्ष) समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है। कणों के बीच कार्य करनेवाले पारस्परिक आकर्षण को '''गुरुत्वाकर्षण''' (Gravitation) तथा उससे उत्पन्न बल को '''गुरुत्वाकर्षण बल''' (Force of Gravitation) कहते है। न्यूटन द्वारा प्रतिप)प्रतिपादित जाटउपर्युक्त +जाटनियम =ताभाईको न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम (Law of Gravitation) कहते हैं। कभी-कभी इस नियम को गुरुत्वाकर्षण का प्रतिलोम वर्ग नियम (Inverse Square Law) भी कहा जाता है।
 
उपर्युक्त नियम को सूत्र रूप में इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है : मान लिया m<sub>1</sub> और संहति वाले m<sub>2</sub> दो पिंड परस्पर d दूरी पर स्थित हैं। उनके बीच कार्य करनेवाले बल f का संबंध होगा :