"आदिवासी (भारतीय)": अवतरणों में अंतर

मूलनिवासी थ्योरी
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[[चित्र:Kutia kondh woman.JPG|thumb|[[ओडिशा|उडी़सा]] के जनजातीय कुटिया कोंध समूह की एक महिला]]
वैसे'''आदिवासी''' मूलनिवासीशब्द आर्यद्रविडदो थ्योरीशब्दों हाल'आदि' हीऔर के राखिगुरी DNA स्टडी'वासी' से गलतमिल पुरवारकर हो चुकी है। आदिवासी मूलनिवासी मानतेबना है खुदऔर कोइसका परअर्थ सवाल'''मूल येनिवासी''' की अगर सबसे पहले आदिवासी थे तो बाकी के बिन आदिवासी लोग किस ग्रह से आये??होता है। [[भारत के लोग|भारत की जनसंख्या]] का 8.6% (10 करोड़) जितना एक बड़ा हिस्सा आदिवासियों का है। पुरातन लेखों में आदिवासियों को ''अत्विका'' और ''वनवासी'' भी कहा गया है ([[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] ग्रंथों में)। [[महात्मा गांधी]] ने आदिवासियों को ''गिरिजन'' (पहाड़ पर रहने वाले लोग) कह कर पुकारा है। [[भारत का संविधान|भारतीय संविधान]] में आदिवासियों के लिए 'अनुसूचित [[जनजाति]]' पद का उपयोग किया गया है। भारत के प्रमुख आदिवासी समुदायों में [[किरात]] [[धानका]] [[गोंड]],[[मुण्डा|मुंडा]], खड़िया, [[हो भाषा|हो]], [[बोडो]], [[भील]], [[कोली]], फनात [[सहरिया]], संथाल, [[मीणा]], [[उराँव|उरांव]],[[लोहरा]], परधान,[भील] [[बिरहोर]], पारधी, आंध, टाकणकार आदि हैं।
'''आदिवासी''' शब्द दो शब्दों 'आदि' और 'वासी' से मिल कर बना है और इसका अर्थ '''मूल निवासी''' होता है।
वैसे मूलनिवासी आर्यद्रविड थ्योरी हाल ही के राखिगुरी DNA स्टडी से गलत पुरवार हो चुकी है। आदिवासी मूलनिवासी मानते है खुद को पर सवाल ये की अगर सबसे पहले आदिवासी थे तो बाकी के बिन आदिवासी लोग किस ग्रह से आये?? [[भारत के लोग|भारत की जनसंख्या]] का 8.6% (10 करोड़) जितना एक बड़ा हिस्सा आदिवासियों का है। पुरातन लेखों में आदिवासियों को ''अत्विका'' और ''वनवासी'' भी कहा गया है ([[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] ग्रंथों में)। [[महात्मा गांधी]] ने आदिवासियों को ''गिरिजन'' (पहाड़ पर रहने वाले लोग) कह कर पुकारा है। [[भारत का संविधान|भारतीय संविधान]] में आदिवासियों के लिए 'अनुसूचित [[जनजाति]]' पद का उपयोग किया गया है। भारत के प्रमुख आदिवासी समुदायों में [[किरात]] [[धानका]] [[गोंड]],[[मुण्डा|मुंडा]], खड़िया, [[हो भाषा|हो]], [[बोडो]], [[भील]], [[कोली]], फनात [[सहरिया]], संथाल, [[मीणा]], [[उराँव|उरांव]],[[लोहरा]], परधान,[भील] [[बिरहोर]], पारधी, आंध, टाकणकार आदि हैं।
 
भारत में आदिवासियों को प्रायः 'जनजातीय लोग' के रूप में जाना जाता है। आदिवासी मुख्य रूप से भारतीय राज्यों [[ओडिशा|उड़ीसा]], [[मध्य प्रदेश]], [[छत्तीसगढ़]], [[राजस्थान में मुख्यतः बाँसवाड़ा,डूंगरपुर,उदयपुर,चित्तौडगढ,भीलवाडा, सिरोही,जालोर,पाली,अजमेर,टोक,सवाईमाधोपुर, जयपुर,करौली, धौलपुर,अलवर,दौसा,भरतपुर,सीकर,कोटा,बूंदी,बांरा, झालावाड ]]में बहुसंख्यक व, [[गुजरात]], [[महाराष्ट्र]], [[आन्ध्र प्रदेश|आंध्र प्रदेश]], [[बिहार]], [[झारखण्ड|झारखंड]], [[पश्चिम बंगाल]] में [[अल्पसंख्यक]] है जबकि [[उत्तर-पूर्वी राज्य|भारतीय पूर्वोत्तर राज्यों]] में यह बहुसंख्यक हैं, जैसे [[मिज़ोरम|मिजोरम]]। भारत सरकार ने इन्हें [[भारत का संविधान|भारत के संविधान]] की पांचवी अनुसूची में " [[आदिवासी|अनुसूचित जनजातियों]] " के रूप में मान्यता दी है। अक्सर इन्हें अनुसूचित जातियों के साथ एक ही श्रेणी " अनुसूचित जाति एवं जनजाति " में रखा जाता है।
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==आदिवासियों के धार्मिक विश्वास==
आदिवासियों का अपनीअपना [[संस्कृतिधर्म]] भी है। ये [[प्रकृति]]-पूजक हैं और [[वन]], [[पर्वत]], [[नदी|नदियों]] एवं [[सूर्य]] की आराधना करते हैं। आधुनिक काल में जबरन बाह्य संपर्क में आने के फलस्वरूप इन्होंने हिन्दू, ईसाई औरएवं इस्लाम धर्म को भी अपनाया है। अंग्रेजी राज के दौरान बड़ी संख्या में ये ईसाई बने तो आजादी के बाद इनके हिूंदकरण का प्रयास तेजी से हुआ है। परन्तु आज ये स्वयं की धार्मिक पहचान के लिए संगठित हो रहे हैं और भारत सरकार से जनगणना में अपने लिए अलग से धार्मिक कोड (कोया पुनेम) की मांग कर रहे हैं।
 
[[भारत]] में 1871 से लेकर 1941 तक हुई जनगणनाओं में आदिवासियों को अन्‍य धमों से अलग धर्म में गिना गया है, जिसे ''एबओरिजिन्स'', ''एबोरिजिनल'', ''एनिमिस्ट'', ''ट्राइबल रिलिजन'' या ''ट्राइब्स'' इत्यादि नामों से वर्णित किया गया है। हालांकि 1951 की जनगणना के बाद से आदिवासियों को अलग से गिनना बन्‍द कर दिया गया है।