"बृहद्रथ मौर्य": अवतरणों में अंतर
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[[शतधन्वन मौर्य|शतधन्वन]] का पुत्र '''बृहद्रथ''' [[मौर्य साम्राज्य]] का अन्तिम शासक था। उसका शासन १८७ ईसापूर्व से १८० ईसापूर्व तक था। वह भी [[बौद्ध धर्म]] का अनुयायी था। उसके अपने ही सेनापति [[पुष्यमित्र शुंग|पुष्यमित्र]] ने बृहद्रथ की हत्या कर दी और एक नए राजवंश का उदय हुआ जिसे '''[[शुंग राजवंश]]''' कहते हैं। जब बृहद्रथ राजा बना, उस समय मौर्य साम्राज्य की राजधानी [[पाटलिपुत्र]] ही थी किन्तु [[सम्राट अशोक|अशोक]] के समय मौर्य साम्राज्य का जितना विस्तार था उसकी तुलना में बृहद्रथ का साम्राज्य बहुत छोटा हो गया था।
[[पुराण|पुराणों]] के अनुसार शतधन्वन के पश्चात बृहद्रथ राजा बना और उसने
बृहद्रथ के अपने ही सेनापति पुष्यमित्र ने १८० ईसापूर्व उसकी हत्या कर दी और स्वयं राजा बन बैठा। मौर्य साम्राज्य का सदा के लिए अन्त हो गया और पुष्यमित्र शुंग वंश का शासन आरम्भ हुआ। {{sfn|Thapar|2013|p=296}} [[बाणभट्ट]] द्वारा रचित [[हर्षचरित]] के अनुसार, बृहद्रथ के सामने मौर्य सेना का शौर्य के शौर्य का प्रदर्शन करने के बहाने पुष्यमित्र ने बृहद्रथ को कुचल दिया। <ref>Lahiri, B. (1974). ''Indigenous States of Northern India (Circa 200 B.C. to 320 A.D.) '', Calcutta: University of Calcutta, pp.24-5</ref>
बृहद्रथ ने कई बौद्ध स्तूपों का पुननिर्माण कराया था, जैसे जैसे [[साँची का स्तूप|सांची]] और [[भरहुत का स्तूप|भरहुत]] के स्तूप। ▼
▲बृहद्रथ ने कई बौद्ध स्तूपों का पुननिर्माण कराया था, जैसे जैसे [[साँची का स्तूप|सांची]] और [[भरहुत का स्तूप|भरहुत]] के स्तूप।
== सन्दर्भ ==
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