"माया": अवतरणों में अंतर

યે તીન ચીજે મનુષ્ય જીવ મે હોતા હે...
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# स्वप्न में चित्रों का संयोग अनिर्णीत होता है, जागरण में यह निर्णीत भी होता है। स्वप्न कल्पना का खेल है, इसमें बुद्धि काम नहीं करती। स्वप्न रूपक और कल्पना की भाषा का प्रयोग करता है, जागरण में प्रत्ययों की भाषा भी प्रयुक्त होती है।
# स्वप्न में प्रत्येक व्यक्ति अपनी निजी दुनिया में विचरता है, जागरण में हम साझी दुनिया मेें रहते हैं। इस दूसरी दुनिया में व्यवस्था प्रमुख है। प्रतिदिन भ्रमण में अनेक पदार्थों को एक ही क्रम में स्थित देखता हूँ, मेरे साथी भी उन्हें उसी क्रम में देखते हैं; दूसरी ओर कोई दो मनुष्य एक ही स्वप्न नहीं देखते, न ही एक मनुष्य के स्वप्न एक दूसरे को दुहराते हैं।
'''श्वेताश्वतर उपनिषद् (१.१२) ''' "तीन तत्व है। अनादि अनंत शाश्वत। एक ब्रह्म, एक जीव, एक माया।" तो ब्रह्म (भगवान) और जीव (आत्मा) के अलावा जो बचा वो माया है, माया अज्ञान का प्रतीक है
 
'''श्वेताश्वतर उपनिषद् (१.१२) ''' "तीन तत्व है। अनादि अनंत शाश्वत। एक ब्रह्म, एक जीव, एक माया।" तो ब्रह्म (भगवान) और जीव (आत्मा) के अलावा जो बचा वो माया है, माया अज्ञान का प्रतीक है
 
== सन्दर्भ==
== सन्दर्भ . તીનો તત્વ .ઉત્પન્ન ક્યાંથી થાય છે. માયા . .ભ્રમ ..વહેમ.. ==
{{टिप्पणीसूची|२}}
 
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://ijcrt.org/papers/IJCRT1801531.pdf शांकर-वेदान्त और रामानुज-वेदान्त में 'माया' के स्वरूप में अन्तर]
 
[[श्रेणी:दर्शन]]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/माया" से प्राप्त