"रानी कर्णवती": अवतरणों में अंतर

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'''[https://www.thebiohindi.com/life-introduction-of-rani-karnavati/ Rani Karnavati]''' मेवाड़ की रानी थी। जिस समय हुमायूँ अपने राज्य विस्तार का प्रयत्न कर रहा था, गुजरात का शासक बहादुर शाह भी अपनी शक्ति बढ़ाने में लगा हुआ था।
 
बहादुर शाह ने 1533 ई. में चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया। उसने राजनीतिक दूरदर्शिता का परिचय देते हुए हुमायूँ के सामने प्रस्ताव रखा कि हम परस्पर संधि करके अपने समान शत्रु बहादुर शाह का मिलकर सामना करें।
 
राजस्थान के मेवाड़ की रानी कर्णावती को कौन नहीं जानता। एक ओर जहां मुगल सम्राट हुमायूं अपने राज्य का विस्तार करने में लगा था तो दूसरी ओर गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने 1533 ईस्वी में चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया था।
 
'''Rani Karnavati''' चित्तौड़ के राजा की विधवा थीं। रानी के दो पुत्र थे राणा उदयसिंह और राणा विक्रमादित्य। रानी कर्णावती ने राजपूतों और मुस्लिमों के संघर्ष के बीच हुमायूं के सामने प्रस्ताव रखा कि हम परस्पर संधि करके अपने समान शत्रु बहादुरशाह का मिलकर सामना किया ।
 
मुगल सम्राट हुमायूं ने रानी का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। हालांकि हूमायूं किसी को भी नहीं बख्शता था लेकिन उसके दिल में रानी कर्णावती का प्यार अच्छे से उतर गया और उन्होंने रानी का साथ दिया। हुमायूं को रानी ने अपना धर्मभाई बनाया था इसलिए हुमायूं ने भी अपना कर्त्वय निभाया और राज्य की रक्षाकी
 
पहले मुगल बादशाह बाबर ने 1526 में दिल्ली के सिंहासन पर कब्ज़ा कर लिया था। मेवाड़ के राणा सांगा ने उनके खिलाफ राजपूत शासकों का एक दल का नेतृत्व किया। लेकिन अगले वर्ष खानुआ की लड़ाई में वे पराजित हुये। इस युद्ध में राणा सांगा की मृत्यु हो गई -: '''[https://www.thebiohindi.com/life-introduction-of-rani-karnavati/ Also]'''
 
 
'''रानी कर्णावती''' या '''कर्मवती''' (मृत्यु 8 मार्च 1535), बूूंदी के शासक हाड़ा नरबध्दु की पुत्री थीं | इनका विवाह मेेेवाड़ के [[राणा सांगा]] केे साथ सम्पन्न हुआ था |