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== जीवन परिचय ==
'''[https://www.thebiohindi.com/surdas-life-introduction-in-hindi/ surdas ke pad]''' – सूरदास 15 वी शताब्दी के अंधे संत, कवी और '''संगीतकार''' थे। सूरदास का नाम भक्ति की धारा को प्रवाहित करने वाले भक्त कवियों में सर्वोपरि है। सूरदास अपने भगवान कृष्ण पर लिखी भक्ति गीतों के लिये जाने जाते है।
 
सूरदास जी की रचनाओं में भगवान श्री कृष्ण के भाव स्पष्ट देखने को मिलते हैं। जो भी उनकी '''रचनाओं''' को पढ़ता है वो कृष्ण की भक्ति में डूब जाता है। -: '''[https://www.thebiohindi.com/surdas-life-introduction-in-hindi/ Also]'''
 
उन्होंने अपनी रचनाओं में भगवान श्री कृष्ण का श्रृंगार और शांत रस में दिल को छू जाने वाला मार्मिक वर्णन किया हैं। सूरदास जी, को हिन्दी साहित्य की अच्छी जानकारी थी, अर्थात उन्हें हिन्दी साहित्य का विद्धान माना जाता था।
 
सूरदास का जन्म 1478ई० में रुनकता नामक गाँव में हुआ। यह गाँव [[मथुरा]]-[[आगरा]] मार्ग के किनारे स्थित है। कुछ विद्वानों का मत है कि सूर का जन्म सीही <ref>{{वेब सन्दर्भ|last1=चन्द्रकान्ता|title=Surdas (Sur Das, Soordas) - Chandrakantha|url=http://chandrakantha.com/biodata/surdas.html|website=chandrakantha.com|accessdate=१० दिसम्बर २०१५|archive-url=https://web.archive.org/web/20151019015826/http://chandrakantha.com/biodata/surdas.html|archive-date=19 अक्तूबर 2015|url-status=dead}}</ref> नामक ग्राम में एक निर्धन सारस्वत [[ब्राह्मण]] परिवार में हुआ था। वह बहुत विद्वान थे, उनकी लोग आज भी चर्चा करते है।--- [[मथुरा ज़िला|मथुरा]] के बीच गऊघाट पर आकर रहने लगे थे। सूरदास के पिता, रामदास गायक थे। सूरदास के जन्मांध होने के विषय में <ref>{{समाचार सन्दर्भ|last1=आईलवइंडिया|title=Surdas - Surdas Biography - Life of Surdas - Surdas Life History|url=http://www.iloveindia.com/spirituality/gurus/surdas.html|accessdate=१० दिसम्बर २०१५|archive-url=https://web.archive.org/web/20151204091445/http://www.iloveindia.com/spirituality/gurus/surdas.html|archive-date=4 दिसंबर 2015|url-status=dead}}</ref> मतभेद है। प्रारंभ में सूरदास आगरा के समीप गऊघाट पर रहते थे। वहीं उनकी भेंट श्री [[वल्लभाचार्य]] से हुई और वे उनके शिष्य बन गए। वल्लभाचार्य ने उनको पुष्टिमार्ग में दीक्षित कर के कृष्णलीला के पद गाने का आदेश दिया। सूरदास की मृत्यु गोवर्धन के निकट पारसौली ग्राम में १५८४ ईस्वी में हुई।<ref>{{Cite web|url=https://www.punjabkesari.in/dharm/news/surdas-jayanti-992918|title=सूरदास भगवान कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे।|last=|first=|date=|website=पंजाब केसरी|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref>