"गोवर्धन पूजा": अवतरणों में अंतर

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इस पौराणिक घटना के बाद से ही गोवर्घन पूजा की जाने लगी। बृजवासी इस दिन गोवर्घन पर्वत की पूजा करते हैं। गाय बैल को इस दिन स्नान कराकर उन्हें रंग लगाया जाता है व उनके गले में नई रस्सी डाली जाती है। गाय और बैलों को गुड़ और चावल मिलाकर खिलाया जाता है।
 
== [https://www.satishdaffodil.in/2020/10/govardhan-puja.html गोवर्धन पूजा की विधि] ==
इस दिन प्रात प्रात काल शरीर पर तेल की मालिश करने के बाद में स्नान करने का प्राचीन परंपरा है. इस दिन आप सुबह जल्दी उठकर पूजन सामग्री के साथ में आप पूजा स्थल पर बैठ जाइए और अपने कुल देव का, कुल देवी का ध्यान करिए पूजा के लिए गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत पूरी श्रद्धा भाव से तैयार कीजिए. इसे लेटे हुये पुरुष की आकृति में बनाया जाता है. यदि आप से ठीक तरीके से नहीं बने तो आप चाहे जैसा बना लीजिए. प्रतीक रूप से गोवर्धन रूप में आप इसे तैयार कर लीजिए फूल, पत्ती, टहनीयो एवं गाय की आकृतियों से या फिर आप अपनी सुविधा के अनुसार इसे किसी भी आकृति से सजा लीजिए.