"विमान": अवतरणों में अंतर
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'''विमान''' शब्द भारतीय साहित्य (मुख्यतः [[वेद]], [[रामायण]], [[महाभारत]] एवं जैन साहित्य में) में एक उड़ाने वाली युक्ति को इंगित करता है। कहीं-कहीं पर यह '[[मन्दिर|मंदिर]]', 'स्थान' आदि का भी अर्थ रखता है। [[समराङ्गणसूत्रधार|समरांगणसूत्रधार]] तथा [[वैमानिक शास्त्र]] आदि कई ग्रन्थों में इनका विशद तकनीकी वर्णन भी मिलता है।
==विमान की प्राचीन भारतीय परिभाषा==
*(१) नारायण ऋषि कहते हैं
: ''जो पृथ्वी, जल तथा आकाश में पक्षियों के समान वेग पूर्वक चल सके, उसका नाम विमान है।
*(२) शौनक के अनुसार-
: ''एक स्थान से दूसरे स्थान को आकाश मार्ग से जा सके।
*(३) विश्वम्भर के अनुसार -
: ''एक देश से दूसरे देश या एक ग्रह से दूसरे ग्रह जा सके, उसे विमान कहते हैं।
== इन्हें भी देखें==
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