"आज़मगढ़ जिला": अवतरणों में अंतर

टैग: Reverted
छो Gothawn (Talk) के संपादनों को हटाकर Pint2 chauhan student के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया Reverted
पंक्ति 43:
'''दुर्वासा''': यह स्थान फूलपुर तहसील मुख्यालय के उत्तर से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह जगह यहां स्थित दुर्वासा ऋषि के आश्रम के लिए काफी प्रसिद्ध है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। हजारों की संख्या में विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करने यहां आया करते थे। यहां के सिद्ध संतो में मौनी जी महाराज का नाम आदर से लिया जाता है
'''प्रथम देव ''':यह बहिरादेव के नाम से विख्यात हैं यह बाबा मुसई दास की तपस्थली व सिद्ध तीर्थों में एक है।
 
'''गोठांव''': यह स्थान मार्टीनगंज तहसील मुख्यालय के पूर्व में गम्भीरपुर-मार्टीनगंज मार्ग पर 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ धम्माचार्य चन्द्रजीत गौतम द्वारा स्थापित '''अंतरराष्ट्रीय बुद्ध विहार''' है जोकि पूर्वी उत्तर प्रदेश के बौद्धों का प्रमुख केंद्र है। बुद्ध धम्म को जानने, समझने के यह महत्वपूर्ण स्थल है।
 
'''भंवरनाथ मंदिर''': यह मंदिर आजमगढ़ जिले के प्रमुख मंदिरों में से एक हैं। भंवरनाथ मंदिर शहर से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर लगभग सौ वर्ष पुराना है। माना जाता है कि जो भी सच्चे मन से इस मंदिर में आता है उसकी मुराद जरूर पूरी होती है। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। हजारों की संख्या में भक्त इस मेले में एकत्रित होते हैं।
 
'''अवन्तिकापुरी''': मुहम्मदपुर स्थित अविन्कापुरी काफी प्रसिद्ध स्थान है। ऐसा माना जाता है कि राजा जन्मेजय ने एक बार पृथ्वी पर जितने भी सांप है उन्हें मारने के लिए यहां एक यज्ञ का आयोजन किया था। यहां स्थित मंदिर व सरोवर भी काफी प्रसिद्ध है। काफी संख्या में लोग इस सरोवर में डुबकी लगाते हैं।
 
'''पल्हना''': लालगंज के मसीरपुर के पास में स्थित, जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी दूर यह पालमेहश्वरी धाम आज़मगढ़ के मुख्य धार्मिक स्थलों में से एक है। यह एक शक्ति पीठ है। पौराणिक रूप से विष्णु भगवान के सुदर्शन द्वारा काटने पर, इस स्थल पर देवी सती की कमर के भाग के गिरने के कारण यह महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है। हैरानी की बात यह है कि कुछ वर्षों पहले यहाँ पर उस भाग के अंत का पता करने के लिए खुदाई हुई और 80 मीटर तक खुदाई के बाद भी माता की कमर का अंत नही मिल सका, और पानी ज्यादा होने के कारण खुदाई बन्द करनी पड़ी।