"ईसाई धर्म": अवतरणों में अंतर

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[[यीशु]] मसीह स्वयं परमेश्वर के पुत्र है| जो पतन हुए (पापी) सभी मनुष्यों को पाप और मृत्यु से बचाने के लिए जगत में देहधारण होकर (देह में होकर) आए थे। परमेश्वर जो पवित्र हैं। एक देह में प्रगट हुए ताकि पापी मनुष्यों को नहीं परन्तु मनुष्यों के अन्दर के पापों को खत्म करें। वे इस पृथ्वी पर जो पापी, बीमार, मूर्खों और सताए हुए थे उनका पक्ष लिया और उनके बदले में पाप की कीमत अपनी जान देकर चुकाई ताकि मनुष्य बच सकें | हमारे पापों की सजा यीशु मसीह चूका दिए इस लिए हमें पापों से क्षमा मिलती है। यह पापी मनुष्य और पवित्र परमेश्वर के मिलन का मिशन था जो प्रभु यीशु के क़ुरबानी से पूरा हुआ। एक श्रृष्टिकर्ता परमेश्वर हो कर उन्होंने पापियों को नहीं मारा परन्तु पाप का इलाज़ किया।
 
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यह बात परमेश्वर पिता का मनुष्यों के प्रति अटूट प्रेम को प्रगट करता है। मनुष्यों को पाप से बचाने के लिये परमेश्वर शरीर में आए। यह बात ही यीशु मसीह का परिचय है। यीशु मसीह परमेश्वर थे। यही बात आज का यीशुई धर्म का आधार है। उन्होंने स्वयं कहा मैं हूँ। यीशु मसीह (यीशु) एक यहूदी थे जो [[इज़राइल|इस्राइल]] [[इज़राइल|इजराइल]] के गाँव बेत्लहम में जन्मे है (४ यीशुपूर्व)। यीशुई मानते हैं कि उनकी माता [[मारिया]] (मरियम) कुवांरी (''वर्जिन'') थीं। यीशु उनके गर्भ में परमपिता परमेश्वर की कृपा से चमत्कारिक रूप से आये है। यीशु के बारे में यहूदी नबियों ने भविष्यवाणी की है कि एक मसीहा (अर्थात "राजा" या तारणहार) जन्म लेगा। कुछ लोग ये मानते हैं कि यीशु [[भारत]] भी आये थे। बाद में यीशु ने इजराइल में यहूदियों के बीच प्रेम का संदेश सुनाया और कहा कि वो ही ईश्वर के पुत्र हैं। इन बातों पर पुराणपंथी यहूदी धर्मगुरु भड़क उठे और उनके कहने पर इजराइल के [[रोमन]] राज्यपाल ने यीशु को [[क्रूस]] पर चढ़ाकर मारने का प्राणदण्ड दे दिया। यीशुई मानते हैं कि इसके तीन दिन बाद यीशु का पुनरुत्थान हुआ या यीशु पुनर्जीवित हो गये। यीशु के उपदेश [[बाइबिल]] के नये नियम में उनके 12 शिष्यों द्वारा रेखांकित किये गये हैं।